Wrong UPI Transaction: लेनदेन के लिए यूपीआई सबसे पॉप्युलर माध्यम बन गया है. इसकी सबसे खास बात है कि यह पूरी तरह मुफ्त है. केवल जुलाई के महीने में UPI की मदद से 600 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए जिसकी वैल्यु 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है. जाहिर है जब इतने बड़े पैमाने पर यूपीआई ट्रांजैक्शन (UPI payment) किए जाएंगे तो गलती की गुंजाइश भी ज्यादा होगी. ऐसा अक्सर होता है कि जब आप किसी नए शख्स को यूपीआई पेमेंट करते हैं तो कुछ लेटर की गलती से गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं. अगर आपके साथ ही ऐसा हुआ है तो आपके लिए यह बहुत काम की खबर है.
अगर आपने भी गलत अकाउंट में यूपीआई की मदद से पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं तो घबराने वाली बात नहीं है. गलत ट्रांजैक्शन होने पर सबसे पहले मैसेज का स्क्रीनशॉट ले लें. इस मैसेज में एक हेल्पलाइन नंबर होता है जिसपर कॉल करें और इसकी सूचना दें. अपने बैंक को भी इस ट्रांजैक्शन के बारे में बताएं और जल्द से जल्द ब्रांच मैनेजर से मिलें. एक महत्वपूर्ण बात को समझना जरूरी है. अगर यूपीआई आईडी मौजूद होगा तो ही बैलेंस ट्रांसफर होगा. अगर गलत आईडी मौजूद ही नहीं होगा तो आपके अकाउंट में खुद-ब-खुद पैसे रिफंड हो जाएंगे.
बैंक को प्रूफ जमा करना होगा
अगर आपने गलत आदमी के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं, जिसमें अकाउंट होल्डर का नाम सिमिलर है तो बैंक को इसका प्रूफ देना होगा कि आपसे यह गलती हुई है. जब आप बैंक को इसकी शिकायत करेंगे तो मेल में इसकी डिटेल जानकारी शामिल करें. अगर यह इंट्रा बैंक ट्रांजैक्शन है, मतलब दो अलग-अलग बैंकों के बीच ट्रांजैक्शन किया जाता है तो बैंक आपकी जगह पर रिसीवर को संपर्क करने की कोशिश करेगा.
बैंक आपकी हर तरह से मदद की कोशिश करेगा
इंट्रा बैंक ट्रांजैक्शन के मामले में आपका बैंक रेसिपेंट से संबंधित पूरी जानकारी शेयर करेगा. वह अकाउंट होल्डर का नाम, ब्रांच, मोबाइल नंबर समेत अन्य तरह की जानकारी शेयर कर सकता है. ऐसे मामलों में आप रिसीवर के ब्रांच में जाकर मैनेजर से बात कर सकते हैं और उनसे रिक्वेस्ट कर सकते हैं. दूसरे बैंक का मैनेजर भी रिसीवर से बात करेगा और आपका पैसा वापस करने के लिए कहेगा.
सात दिनों के भीतर पैसे रिफंड मिल सकते हैं
अगर प्राप्तकर्ता यानी रेसिपेंट पैसे ट्रांसफर करने के लिए तैयार हो जाता है तो सात वर्किंग दिनों के भीतर अकाउंट पर पैसे वापस आ जाएंगे. अगर वह पैसे वापस करने को तैयार नहीं होता है तो परेशानी ज्यादा होगी. इस मामले में कानूनी राह भी चुना जा सकता है. हालांकि, कस्टमर की मंजूरी के बिना कोई भी बैंक उसके अकाउंट से पैसे ट्रांसफर नहीं कर सकता है.
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