Alcohol: शोले फ़िल्म तो याद होगी और धर्मेंद्र द्वारा निभाया गया वीरू का किरदार भी. याद भी क्यों न हो वो किरदार था ही इतना कमाल का. वीरू के किरदार में सबसे ज़्यादा चर्चित दो चीज़ें थीं, एक बसंती दूसरी पानी की टंकी, जिसपर चढ़कर उन्होंने नशे की हालत में बेचारी मौसी को विलेन बना दिया था और जो इंग्लिश बोली थी वो तो काबिले तारीफ़ थी, ‘आई गोइंग टू जेल, इन जेल बुढ़िया चक्की पीसिंग एंड पीसिंग एंड पीसिंग’. ये तो थी मूवी की बात लेकिन असल ज़िंदगी में भी कई बार देखा होगा कि, शराब पीने के बाद इंसान इंग्लिश बोलने लगता है.
इस बात का पता लगाने के लिए कि आख़िर क्यों शराब पीने के बाद हिंदी बोलने वाला इंसान इंग्लिश बोलने लगता है? इस पर साइंस मैगज़ीन ‘Journal of Psychopharmacology’ की स्टडी के अनुसार, शराब की थोड़ी मात्रा पीने पर जो नशा होता है वो दूसरी भाषा को बिना हिचकिचाहट बोलने में मददगार होता है.
The University of Liverpool, King’s College Britain और नीदरलैंड्स की Maastricht University के शोधकर्ताओं ने क़रीब 50 जर्मन लोगों को अध्ययन में शामिल किया, जिन्होंने डच भाषा सीखी थी और वो नीदरलैंड में पढ़ाई कर रहे थे.
इस स्टडी के तहत कुछ लोगों को एल्कोहल वाली ड्रिंक दी गई तो कुछ को बिना एल्कोहल वाली. इसके बाद, जर्मन लोगों को नीदरलैंड के लोगों से डच भाषा में बात करने को कहा गया.
तो पता ये चला कि जिन्होंने पी रखी थी, उन्होंने शब्दों के उच्चारण बिना डरे बिलकुल सही किए और जो जिन्होंने नहीं पी थी उनको शब्द बोलने में झिझक हो रही थी. इससे ये पता चला कि शराब पीने के बाद आत्मविश्वास बढ़ जाता है और इंसान बिना डरे किसी के भी सामने बोलने में सक्षम होता है.
हालांकि, शराब सेहत के लिए हानिकारक होती है, लेकिन कई बार देखा होगा कि पीने के बाद इंसान अपनी बात को पूरे आत्मविश्वास के साथ किसी के भी सामने रखते हैं. हिंदी हमारी मातृभाषा, लेकिन अगर किसी को इंग्लिश बोलना अच्छा लगता है तो वो बिना पिये उतनी अच्छी इंग्लिश नहीं बोलेगा, जितनी पीने के बाद बोलता है. यही एक कारण है कि ज़्यादातर लोग शराब पीने के बाद वही भाषा बोलना पसंद करते हैं, जिसे वो होश में बोलने में डरते हैं. फिर चाहे वो इंग्लिश हो या कोई और भाषा.
वैसे शराब सेहत के लिए हानिकारक होती है इसलिए इसका सेवन न ही करें. ये शोध सिर्फ़ इस बात को जानने के लिए है कि आख़िर लोग क्यों शराब पीकर इंग्लिश बोलते हैं. आमतौर पर इंग्लिश भाषा में कई शब्द ऐसे होते हैं जिनका उच्चारण सरल नहीं होता है, इस अध्ययन में ये पाया गया है कि, जो व्यक्ति सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं वो भी पीने के बाद करने लगते हैं. जैसे जर्मन डच भाषा का करने लगे. इसे आप हिंदी और इंग्लिश के तौर पर भी समझ सकते हैं.