WHEAT UPDATE INDORE 2023 : समर्धन मूल्य की संख्या से सरकार है चिंतित 33 हजार से ज्यादा किसानो ने किया पंजीयन। समर्थन मूल्य पर गेहूं का विक्रय करने के लिए इंदौर जिले में कुल 33 हजार 929 किसानों ने अब तक पंजीयन करवा लिया है। आज पंजीयन की तिथि समाप्त हो रही है। उम्मीद की जा रही है कि कुल आंकड़ा 34 हजार तक पहुंच जाएगा। दरअसल बीते वर्ष जिले में कुल 37 हजार किसानों ने पंजीयन करवाया था।
किसानों के गेहूं विक्रय के पंजीयन के लिए इंदौर जिले में 62 केंद्र बनाए गए हैं। साथ ही एमपी आनलाइन कियोस्क से भी आनलाइन पंजीयन की सुविधा दी गई है।इससे पहले पंजीयन की आखिरी तारीख 28 फरवरी दोपहर थी।बाद में सरकार ने तारीख बढ़ाकर 5 मार्च कर दी थी। इंदौर में कम संख्या देख किसानों को 10 मार्च तक का समय दिया गया है।
संख्या से चिंतित है सरकार
समर्थन मूल्य पर किसान गेहूं बेचे इसे लेकर सरकार खुद चिंतित नजर आ रही है। दरअसल गेहूं का समर्थन मूल्य इस सीजन के लिए 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। बीतेे वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये था।एमएसपी में 110 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के बावजूद भी सरकार आशंकित है कि ज्यादा किसानों की भीड़ गेहूं बेचने के लिए जुटेगी। दरअसल बाजार में गेहूं के ऊंचे दाम इसकी वजह बने हुए हैं। बीते साल भी 37 हजार पंजीयन के मुकाबले काफी कम किसान समर्थन मूल्य पर माल बेचने पहुंचे थे। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं की वैश्किक बाजार में किल्लत शुरू हो गई थी।
भारत से निर्यात खोला गया
भारत से निर्यात खोल दिया गया था। ऐसे में खुले बाजार में गेहूं के दाम 3000 रुपये क्विंटल तक पहुंच गए थे। नतीजा हुआ कि किसानों ने समर्थन मूल्य पर सरकार को गेहूं बेचने में रुचि नहीं ली। सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली की चिंता और बफर स्टाक कायम रखने के लिए किसी भी स्थिति में देशभर में 250 लाख टन गेहूं खरीदना चाहती है। मप्र ने राज्य में 80 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है। बाजार में यदि कीमतें ऊंची रही तो सरकार और अधिकारियों को चिंता है कि बीते वर्ष की तरह इस बार कम किसान सरकार को गेहूं बेचने आएंगे।
मंडियों में बढ़ती आवक
मंडियों में सोमवार के बाद मंगलवार को भी गेहूं की आवक बढ़ती हुई नजर आई। इस सप्ताह इंदौर मंडी में गेहूं की आवक बढ़कर 11 हजार बोरी प्रतिदिन तक पहुंच गई है। इस सीजन में उत्पादन भी जोरदार आंका जा रहा है। बीते साल गेहूं के दाम सर्वकालिक उच्च स्तर पर थे। गेहूं मिल क्वालिटी भी 3000 रुपये तक बिक गया था। इस साल अब तक सरकार की सख्ती और सरकारी गोदामों से बिक्री के कारण दाम नीचे आ गए हैं। कारोबारियों के अनुसार अब निर्यात खुलने पर ही गेहूं के दामों में तेजी आ सकती है।
आयत निर्यात पर प्रतिबन्ध
कारोबारियों के अनुसार सरकार फिलहाल गेहूं में आयात और निर्यात दोनों पर प्रतिबंध जारी रखेगी। किसानों के हित में आयात को मंजूरी नहीं दी जाएगी। दूसरी ओर निर्यात खुलने की संभावना फिलहाल नहीं है।दरअसल सरकार को सबसे पहले खाली पड़े सरकारी गोदामों को भरना और बफर स्टाक से ऊपर जाकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए भी पर्याप्त गेहूं का भंडार करना जरुरी है। सरकार किसी भी स्थिति में इस वर्ष 250 लाख टन गेहूं की खरीदी करना चाहती है।
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