अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के भाव (Wheat International Status 2022) में जो तेजी बनी हुई है वह लंबे समय तक नहीं चलेगी, इसकी वजह जानिए।
Wheat International Status 2022 | रूस यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न हुई स्थिति के पश्चात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्यान्न संकट खड़ा हो गया विश्व स्तर पर गेहूं की मांग/आपूर्ति प्रभावित हुई। नतीजतन गेहूं के भाव में वृद्धि हुई। इसके अलावा भारत द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से गेहूं की डिमांड ओर अधिक बढ़ गई। लेकिन अब ऐसा लगता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की चल रही यह तेजी लंबी नहीं चलेगी।
गेहूं की अंतरराष्ट्रीय तेजी पर ब्रेक लगेगा
अंतरराष्ट्रीय स्तर (Wheat International Status 2022) से मिल रही जानकारी के अनुसार अमेरिकन मैदानी गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल सूखने लगी है। अब पर्याप्त बारिश होने से वह सामान्य हो गई है। जिससे वर्तमान ऊंचा भाव टिक नहीं सकता, यदि अमेरिकन गेहूं की पछेती बारिश में अवरोध नहीं आया तो दीर्घ अवधि में भाव को कुछ अंशों में समर्थन मिल सकता है। अमेरिकन कृषि मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार गेहूं की 27% फसल अच्छे से उत्तम हालत में है यह आंकड़ा मध्य अप्रैल की तुलना में 3% कमजोर है गत वर्ष इस समय 49% फसल अत्यंत अच्छे हालत में थी।
अर्जेंटीना में पर्याप्त पैदावार की संभावना
इधर भाव गेहूं के भाव को लेकर परेशान हो रहे आम नागरिकों के लिए एक ओर अच्छी खबर यह है कि अमेरिका के साथ-साथ अर्जेंटीना से भी गेहूं की फसल के अच्छे समाचार आने लगे हैं। दूसरी तरफ भारत में 2020-21 के मुकाबले इस वर्ष रबी फसल यानी कि गेहूं की पैदावार कम आने की संभावना थी, किंतु ऐसा नहीं हुआ है। भारत में भी गेहूं की पैदावार अच्छी हुई है सरकारी स्तर पर भले ही खरीदी का आंकड़ा इस वर्ष गत वर्ष की तुलना में कम रहा किंतु सरकारी स्तर पर खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता है। इस कारण देर सवेर भारत सरकार गेहूं के निर्यात पर लगाई गई अस्थाई रोक को हटा देगा। सरकारी सूत्र बताते हैं कि 31 मई के पश्चात गेहूं निर्यात पर लगाई गई रोक हटाई जाएगी। ज्ञात हो कि भारतीय गेहूं की मिस्र, तुर्की एवं कई यूरोपीय देशों में डिमांड अधिक है।
सरकारी गेहूं खरीद का आंकड़ा घटकर 2.7 करोड़ टन रहने का अनुमान
Wheat International Status 2022 | निर्यात के लिए निजी कंपनियों द्वारा आक्रमक खरीद और घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट आने के अनुमान के बीच मौजूदा रबी विपणन वर्ष 2022 – 23 में केंद्र सरकार ने कुल गेहूं खरीद घटकर 2.7 करोड़ टन रह सकती है। दरअसल देश में अधिशेष बफर स्टॉक के चलते घरेलू गेहूं उत्पादन में अपेक्षित गिरावट और केंद्र सरकार की गेहूं खरीद में कमी का सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) , कल्याण योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (Pradhanmantri Garib Kalyan Yojana) (पीएमजीकेएवाई) के तहत अनाज की आवश्यकताओं को प्रभावित नहीं करेगी।
इससे घरेलू खुदरा कीमतें भी प्रभावित नहीं होगी जो कि मौजूदा रूस-यूक्रेन के कारण वैश्विक मुद्रास्फीति के बावजूद काफी हद तक स्थिर बनी हुई है। इसके अतिरिक्त फसल वर्ष 2021 – 22 (जुलाई – जून) में देश का गेहूं उत्पादन 10.5 करोड़ टन होने का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष के 10 करोड़ 95.9 लाख टन के वास्तविक उत्पादन से कम है। चूंकि गेहूं निर्यात के संदर्भ में रुस – यूक्रेन संकट के मद्देनजर भारतीय गेहूं की वैश्विक मांग में वृद्धि के बीच निजी व्यापारी किसानों से बड़े पैमाने पर गेहूं खरीद रहे हैं।