Farming : खेती और उनके प्रकार1
Farming :हमारे देश भारत में कृषि का बहुत ही ज्यादा महत्व है और यहां के अधिकतर जनसंख्या कृषि पर और खेतीवाड़ी पर निर्भर करती है।भारत में खेती के प्रकार से अभिप्राय, भूमि के उपयोग, फसलों एवं पशुधन के आकार और कृषि क्रियाओं व रीतियों से लगाया जाता है | आपको बता दें कि यहां पशुपालन तेजी से किया जा रहा है और साथ ही साथ यहां खेती को भी प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि अधिकतर जनसंख्या इसी पर निर्भर है।
भारत की लगभग 50% प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर करती है| भारत के सभी हिस्सों में अलग-अलग प्रकार की खेती की जाती है क्योंकि यहाँ देश के विभिन्न भागों की जलवायु, भूमि की उर्वरक क्षमता और भूमि का आकार भिन्न भिन्न है |
Farming :खेती के पांच प्रकार निम्न लिखित हैं:
1. विशिष्ट खेती
2. मिश्रित खेती
3. शुष्क खेती
4. बहु प्रकारीय खेती
5. रैंचिंग खेती
1. विशिष्ट खेती : इस प्रकार की खेती के अंतर्गत एक ही प्रकार की खेती का उत्पादन किया जाता है और किसान अपनी आय के लिए केवल इसी पर निर्भर रहता है| व्यक्ति की कुल आय में इस प्रकार की खेती कम से कम 50% आय प्राप्त होती है| उदाहरण: चाय, कहवा, गन्ना और रबर इत्यादि की खेती |
2. मिश्रित खेती : इस प्रकार की खेती के अंतर्गत फसलों के उत्पादन के साथ साथ पशुपालन या डेरी उद्योग भी आता है| ऐसी खेती के अंतर्गत सहायक उद्यमों का कुल आय में कम से कम 10% योगदान होता है |
3. शुष्क खेती : ऐसी भूमि में जहाँ वार्षिक वर्षा 20 इंच अथवा इससे कम हो, इस प्रकार की खेती की जाती है | ऐसी जगहों पर बिना किसी सिचाईं साधन के उपयोगी फसलों का उत्पादन किया जाता है | शुष्क खेती के क्षेत्रों में फसल उत्पादन के लिए भूमि में वर्षा के पानी की अधिक से अधिक मात्रा को सुरक्षित रखा जाता है |
4. बहु प्रकारीय खेती : इस प्रकार की खेती का सम्बन्ध उन जोतों या फार्मों से है जिन पर आमदनी के स्रोत कई उद्यमों या फसलों पर निर्भर करते हैं और प्रत्येक उद्यम अथवा फसल से जोत की कुल आमदनी का 50% से कम ही भाग प्राप्त होता है |
5. रैंचिंग खेती : इस प्रकार की खेती में भूमि की जुताई, बुबाई, गुड़ाई आदि नही की जाती है और न ही फसलों का उत्पादन किया जाता है, बल्कि प्राकृतिक वनस्पति पर विभिन्न प्रकार के पशुओं जैसे भेड़, बकरी,गाय, ऊँट आदि को चराया जाता है |
इस प्रकार की खेती मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, तिब्बत तथा भारत के पर्वतीय या पठारी भागों में भेड़, बकरी चराने के लिए की जाती है | ऑस्ट्रेलिया में भेड़ बकरी चराने वालों को रैन्चर कहा जाता है इसी कारण इस खेती को रैंचिंग कहा जाता है |
इसके अलावा भारत में और भी कई तरह की खेती होती है। खेती के साथ-साथ यहां पशु पालन मछली पालन और रेशम निकालने का व्यापार भी किया जाता है। भारत के अधिकतर जनसंख्या कृषि पर निर्भर है इसलिए यहां कृषि को प्राथमिकता दी जाती है और अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं। आज भी भारत की 50% से अधिक जनसंख्या खेती पर निर्भर करती है।
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