सोयाबीन की नई किस्म 2022 | सोयाबीन की अच्छी किस्म कौन सी है – सोयाबीन की प्रमुख किस्में | सोयाबीन की उत्तम किस्में | सोयाबीन सीड्स की उन्नत किस्में mp, up, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दक्षिण भारत –
खरीफ के सीजन में सोयाबीन की फसल की खेती कर अच्छा उत्पादन लेने के लिए सबसे बड़ी और जरूरी बात जो आती है – सोयाबीन बीज का चुनाव करना | आज हम बात करने वाले है उतरी भारत के राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी जैसे राज्यों में फल-फूलने वाली टॉप 10 सोयाबीन की उत्तम किस्मों के बीजों के बारे में – इन वैराईटियों को लगाकर किसान फसल को रोगमुक्त और ज्यादा पैदावार ले सकते है –
टॉप 10 सोयाबीन की नई किस्म 2022 –
सोयाबीन की उत्तम किस्में | सोयाबीन वैरायटी का सम्पूर्ण विवरण |
सोयाबीन किस्म VS 6124 | इस किस्म के पौधे 3 से 6 फिट उचाई में होते है, जो अधिक फूल-फलीयों के साथ अच्छी पैदावार के लिए जानी जाती है | फसल 90 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | उत्पादन की बात करें तो 20 से 25 क्विंटल / हेक्टेयर ले सकते है | यह वैराईटी रोगों के प्रति प्रतिरोधक अधिक है, बुवाई का समय 15 जून के बाद में माना गया है | |
JS 2034 | यह सोयाबीन की नई किस्म 2034, 15 जून से लेकर 30 जून तक बुवाई कर लेनी चाहिए जो 85 से लेकर 90 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है | उत्पादन की बात करें तो 25 क्विंटल के लगभग प्रति हेक्टेयर होता है | – अधिक जानकारी |
फुले संगम / KDS 726 | यह किस्म महात्मा फुले कृषि विधापीठ महाराष्ट्र से निकली गई थी, 100 से 110 दिन में पककर तैयार होने वाली किस्म जिसमे किट एव रोग न के बराबर देखने को मिलते है | महाराष्ट्र और दक्षिणी भारत में ज्यादातर लगाईं जा रही है | फुले संगम सोयाबीन की औसत उपज 25 से 30 क्विंटल / हेक्टेयर है और इसमें हाईटेक तरीके से तैयार खेती से 40 क्विंटल / हेक्टेयर तक की उपज भी देखि गई है | |
प्रतापसोया – 45 | 100 से 105 दिन में पकने वाली किस्म है | यह ज्यदातर राजस्थान और उतरी भारत के लिए ज्यादा अनुमोदित है | RKS – 45 की अधिकतम उपज उत्पादन क्षमता 30 से 35 क्विंटल/ हेक्टेयर है | यह वैराईटी इल्ली रोगमुक्त किस्म है | |
PS – 1347 | औसत उपज पैदावार क्षमता 30 क्विंटल / हेक्टेयर देखि गई है | उतरी भारत के राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी में इसे लगा सकते है | यह वैराईटी 100 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है | यह पिला मोजेक रोग रोधी प्रमाणित वैराईटी है | |
VL Soya – 59 और दूसरी 63 | इस वैराईटी के पौधो में फली सडन और पत्तियों पर धब्बा रोग नही लगता है | प्रति हेक्टेयर उत्पादन 25 से 30 क्विंटल हो जाता है | उतरी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में इस किस्म को लगा सकते है | यह किस्म को पकने में अधिक समय लगता है जो 125 से 130 दिन है | |
MACS – 1407 | यह किस्म इस साल से खरीफ की फसल मे लगाई जाएगी, यह हाल ही मे भारत मे विकशीत की गई है जो असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त होगी | यह बीज खरीफ के मौसम मे किसानों को बुवाई के लिए मई-जून से बाजार मे उपलब्ध कराई जाएगी | |
सोयाबीन किस्म JS 9560 | उत्पादन 25 से 30 क्विंटल / हेक्टेयर उत्पादन होता है | 40 किलो / एकड़ बीज की मात्रा से बुवाई की जानी चाहिए, जो 80 से 85 दिन में पककर तैयार होती है | |
बिरसा सफेद सोया – 2 | झारखंड और इसके आस-पास वाले राज्यों के लिए सर्वोधिक अनुमोदित किस्म है जो 25 से 30 क्विंटल / हे. उत्पादन देती है | इस किस्म में इल्ली और पत्ती धब्बा रोग नही देखने को मिलता है | |
MAUS – 612 | देश की मध्यम और भारी मिटटी वाली भूमि में इस किस्म को लगा सकते है, जिसका उत्पादन 30 से 35 क्विंटल / हेक्टेयर तक हो जाता है | 90 से 100 दिन में कटाई पर आ जाती है | पिछले कुछ सालों से महाराष्ट्र में सर्वोधिक इसकी बुवाई देखि जा रही है | |
सोयाबीन में सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में – KDS 726, MAUS – 612, PS – 1347,
मध्य एव उत्तर भारत में – JS की 20-34 और JS 20-69, VS 6124, JS 2034, प्रतापसोया – 45 आदि |
राजस्थान में – प्रताप सोया – 45, JS की अनुमोदित वैराइटिया आदि |
सोयाबीन की नई वैरायटी कौन सी है?
देश में अब आने वाली सभी प्रकार की उन्नत वैराईटियों की रोगप्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है | 2022 के लिए हाल ही मे नवीनतम किस्म MACS – 1407 है, जो मई-जून 2022 से बाजार मे उपलब्ध है|
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