तुअर की खेती कैसे करे, पूरी जानकारी?
आपको बता दे तो अरहर का यानी कि तुवर का वानस्पतिक नाम केजेनस केएन है। अरहर या तुअर के परिवार का नाम लेगूमिनएसी है।
जैसे ही भारत मैं दलहनी फसल चने का खेती खत्म होता है वैसे ही अरहर और तुवर की खेती शुरू हो जाती है और यह भी हमारे दलहनी फसल में से एक मुख्य फसल है जो कि चने की खेती के समाप्त होने के बाद हम करते हैं।
आपको बता दें तो अरहर को ही तुअर बोलते है। और इसकी दाल बहुत ही ज्यादा लाभदायक मानी जाती है खाने में क्योंकि यह आप को स्वस्थ रखता है और आपकी शरीर को मजबूत रखता है।
तुअर की खेती करने के लिए मुख्य जानाकारी।
हल्की दोमट अथवा मध्यम भारी प्रचुर स्फुर वाली भूमि, जिसमें समुचित पानी निकासी हो, अरहर बोने के लिये उपयुक्त है। खेत को 2 या 3 बाद हल या बखर चला कर तैयार करना चाहिये। खेत खरपतवार से मुक्त हो तथा उसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था की जावे।
अरहर की फसल के लिए समुचित जल निकासी वाली मध्य से भारी काली भूमि जिसका पी.एच. मान 7.0-8.5 का हो उत्तम है। देशी हल या ट्रैक्टर से दो-तीन बार खेत की गहरी जुताई क व पाटा चलाकर खेत को समतल करें। जल निकासी की समुचित व्यवस्था करें।
आपको बता दें जब तुअर की खेती हम अरहर की खेती को पूरी तरीके से खत्म करते हैं तो इनकी सूखी लकड़ी या जो है वह छप्पर बनाने के काम आती है।
अरहर की खेती करने के बाद भूमि का जो क्षेत्र होता है वह और भी ज्यादा उव्रक हो जाता है। बता दें कि अरहर की फसल जो होती है वह जमीन के निचले स्तर तक जाती है,
जिसकी वजह से जमीन के अंदर की जो होल होती है वह खुल जाती है जिसमें की वायु का संचार जो होता है वह बेहतर तरीके से होता है जिसकी वजह से जमीन की जो जीवन की आयु है वह बढ़ जाती है जिसकी वजह से वह और भी ज्यादा आने वाले फसल के लिए मुनाफे का सौदा होता है।
अरहर का जो पौधा होता है वह काफी ही सीधा तरीके का होता है और बहुत ही ज्यादा लंबा होता है जिसकी लंबाई जो होती है एक से लगभग 3 मीटर की होती है।
आपको बता दे तो अरहर की खेती पूरे विश्व में की जाती है और भारत में इसकी मूल्य खेती की जाती है जिसमें कि भारत का यह मूल्य फसल में से एक फसल है और विश्व भर में इसकी खेती 85% तक की जाती है।तुअर की खेती
आपको बता दें कि, भारत के पूर्व राज्य जिले में इसकी खेती जो है वह मुख्य खेती मानी जाती है वहां पर अरहरो की उपज में खास ध्यान दिया जाता है।
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