धान की ये वैराइटी किसानो को बनाएगी मालमाल और कम लागत की साथ ,जानिए पूरी डिटेलदेश में धान उत्पादन अब किसानों के साथ-साथ सरकार के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है. जैसे-जैसे पानी का स्तर घट रहा है, चिंताएं बढ़ रही हैं. एक ओर घटता जल स्तर और दूसरी ओर बढ़ती हुई जनसंख्या भी खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है। किसानो की गरीबी मिटा देने वाली भारत की 5 सबसे अच्छी धान की वैरायटी के बारे में बताएँगे।
धान की ये वैराइटी किसानो को बनाएगी मालमाल और कम लागत की साथ ,जानिए पूरी डिटेल
धान की ये वैराइटी किसानो को बनाएगी मालमाल और कम लागत की साथ ,जानिए पूरी डिटेल
जानिए क्या है इस किस्म की खासियत
पानी की कमी को देखते हुए, पिछले 15 साल से देश में धान की ऐसी किस्म पर अनुसंधान चल रहा था। जो न सिर्फ कम पानी में उगे, बल्कि कम पानी में भी किसानों को अच्छी पैदावार दे। अंततः 15 साल बाद इस किस्म को विकसित करने में देश के कृषि वैज्ञानिकों को सफलता मिल गई। इस किस्म को विकसित करने में बीएचयू के कृषि वैज्ञानिकों व अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस के कुछ वैज्ञानिकों का सहयोग रहा है। इस किस्म के आ जाने से देश में चावल के उत्पादन पर काफी सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद की जा रही है। इस किस्म की कई खासियत है जैसे ये मात्र 115 से 118 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। सामान्य किस्मों की अपेक्षा ज्यादा उत्पादन देती है। इसके अलावा भी इस किस्म की कई खासियत हैं।
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Pant Paddy-12 Variety
पंत धान-12 धान की अधिक उपज देने वाली किस्म है जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने G.B. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी द्वारा विकसित किया है. यह एक अर्ध-बौनी किस्म है जो 110-115 दिनों में पक जाती है और उत्तर भारत के सिंचित क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है. पंत धान-12 के फायदों में से एक इसकी उच्च उपज क्षमता है. यह प्रति हेक्टेयर 7-8 टन अनाज का उत्पादन कर सकता है, जो पारंपरिक गेहूं की किस्मों की तुलना में काफी अधिक है.
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PHB 71 Paddy Variety
PHB 71 धान (चावल) की एक उच्च उपज वाली किस्म है जिसे फिलीपींस में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) द्वारा विकसित किया गया था. यह एक अर्ध-बौनी किस्म है जो 105-110 दिनों में पकती है और दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के सिंचित क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है. PHB 71 के फायदों में से एक इसकी उच्च उपज क्षमता है. यह प्रति हेक्टेयर 6-7 टन धान का उत्पादन कर सकता है, जो पारंपरिक चावल किस्मों की तुलना में काफी अधिक है. PHB 71 का एक अन्य लाभ इसकी ब्लास्ट रोग प्रतिरोधक क्षमता है, जो चावल की खेती में एक बड़ी समस्या है। यह बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट और टुंग्रो वायरस जैसे अन्य रोगों के प्रति भी सहिष्णु है, जो चावल की फसलों में महत्वपूर्ण उपज हानि का कारण बन सकते हैं।
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