Stock Tips: ऑटो, रियल एस्टेट, कंज्यूमर गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल और बैंक जैसे कारोबार ब्याज दरों से संवेदनशील होते हैं. अग्रवाल ने कहा है कि छोटी अवधि में शेयर बाजार में कंपनियों के शेयर पर उनके तिमाही नतीजे का असर पड़ने वाला है. इसके साथ ही ब्याज दरों में वृद्धि, विदेशी निवेशकों की गतिविधियां और महंगाई के आंकड़ों से भी शेयर बाजार की चाल पर काफी असर पड़ सकता है.
Stock Tips: शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से आ रही कमजोरी के बाद गुरुवार को 1 फ़ीसदी से अधिक की तेजी दर्ज की गई. बहुत से एक्सपर्ट इस समय शेयर में खरीदारी की बात कर रहे हैं, जबकि कई एक्सपर्ट का मानना है कि शेयर बाजार में कमजोरी अभी बनी रहेगी.
गुरुवार को 30 शेयर वाला बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स 700 से अधिक अंक की तेजी पर बंद हुआ. पिछले साल अक्टूबर की तुलना में इस समय शेयर बाजार 10 फ़ीसदी तक करेक्ट हो चुका है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या आपको दलाल स्ट्रीट पर निवेश करने से डरना चाहिए या लालच में आकर निवेश कर देना चाहिए.
इक्विटीमास्टर की सीनियर रिसर्च एनालिस्ट ऋचा अग्रवाल ने कहा है कि प्राइस टू अर्निंग रेशयो के हिसाब से बेंचमार्क इंडेक्स अभी भी महंगा है. अगर स्मॉलकैप टू सेंसेक्स रेश्यो देखें तो यह भी long-term मीडियन 0.43 गुना की जगह 0.47 गुना है.
शेयर बाजार में कमजोरी के बाद भी बेंचमार्क सूचकांक उचित लेवल पर नहीं आ पाए हैं. इसी तरह कई शेयरों में पिछले कुछ दिनों में 30 से लेकर 50% तक करेक्शन हुआ है, वह भले ही खरीदारी के लिहाज से उपयुक्त दिख रहे हैं लेकिन इस समय ना तो आप को डरने की जरूरत है और ना ही लालच करने की.
अगर आप शेयरों में निवेश करना चाहते हैं तो ऋचा अग्रवाल की सलाह है कि आपको बहुत चुनिंदा कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए. ऋचा अग्रवाल ने कहा है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल और सेमी ऑटोनॉमस ड्राइविंग कांसेप्ट जैसे थीम इन दिनों निवेशकों को काफी आकर्षित कर रहे हैं.
इसके साथ ही रियल स्टेट में धीरे-धीरे सुधार नजर आ रहा है. भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटाइजेशन से जुड़े थीम भी आकर्षक नजर आ रहे हैं. भारत में इलेक्ट्रिक कार का बाजार अभी शुरुआती अवस्था में है और इसमें तेजी आने में समय लग सकता है.
ऑटो उपकरण कारोबार की कुछ कंपनियां इस तेजी को हवा देने में जुटी हुई हैं और उन्हें इसका फायदा मिल सकता है. भारत की अर्थव्यवस्था में डिजिटलाइजेशन का बहुत महत्वपूर्ण रोल है और इस हिसाब से इस कारोबार में काम कर रही कंपनियों के शेयरों पर दांव लगाया जा सकता है.
रिचा अग्रवाल ने कहा है कि तेल के भाव, ब्याज दरें और महंगाई जैसे मसलों पर निवेशकों का कोई कंट्रोल नहीं है. इसके साथ ही वे इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ दावा भी नहीं कर सकते.
अग्रवाल का कहना है कि इन फैक्टर्स के बारे में 100 फ़ीसदी भरोसे से कुछ भी नहीं कहा जा सकता, इसलिए अगर आप शेयरों में निवेश करना चाहते हैं तो आपको लंबी अवधि के हिसाब से काम करना चाहिए.
लंबी अवधि में शेयरों के निवेश पर फंडामेंटल, मैनेजमेंट क्वालिटी और आपकी एंट्री के समय का बहुत बड़ा असर पड़ता है. रिचा अग्रवाल ने कहा है कि ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील सेक्टर में निवेश करने से पहले ध्यान रखना चाहिए.
ऑटो, रियल एस्टेट, कंज्यूमर गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल और बैंक जैसे कारोबार ब्याज दरों से संवेदनशील होते हैं. अग्रवाल ने कहा है कि छोटी अवधि में शेयर बाजार में कंपनियों के शेयर पर उनके तिमाही नतीजे का असर पड़ने वाला है. इसके साथ ही ब्याज दरों में वृद्धि, विदेशी निवेशकों की गतिविधियां और महंगाई के आंकड़ों से भी शेयर बाजार की चाल पर काफी असर पड़ सकता है.