बीज उत्पादन
भारत कृषि के मामले में लगातार कामयाबी हासिल कर रहा है। भले ही अनाज बीज उत्पादन हो या फिर दूध उत्पादन, या फिर चाहे प्रोसेसिंग का क्षेत्र ही क्यों ना हो। भारत हर जगह उत्पादन में आगे बढ़ता जा रहा है। जिसके साथ साथ किसानों की कमाई में भी बढ़ोतरी होती जा रही है।साथ ही साथ सरकार ने भी किसानों को बीज उत्पादन प्रोत्साहन देने के लिए और उनकी आमदनी को बढ़ावा देने के लिए उनके लिए एक आत्मनिर्भर नाम से अभियान भी शुरू किया है। यह इसी कारण से है क्योंकि भाजपा सरकार का एकमात्र लक्ष्य है कि किसानों की समस्याएं दूर करें और उनकी आमदनी को दोगुना कर दें।
कृषि करने के लिए सबसे अहम रोल बीच निभाता है। जब बीच भी स्वस्थ और अच्छा होगा तो उसी हिसाब से फसल भी उतनी ही शानदार हो जाएगी। साथ ही साथ उस फसल पर कीटाणु और बीमारियों का प्रभाव भी कम होगा।
अगर आप खेती कर रहे हो और आपने खराब बीज इस्तेमाल किया है तो उसके बावजूद आपने कई सारे साधन जैसे खाद, सिंचाई, बुवाई आदि जैसे साधनों पर तमाम रुपए खर्च कर दिया हो। लेकिन उसके बावजूद भी आपकी मेहनत बेकार हो जाएगी। इसी कारण से अगर आप खेती करना चाहते हैं तो आपको इससे जुड़े सभी साधनों जैसे बीज, कीटनाशी, बिजली, उर्वरक, पानी, मशीनरी, और साथ ही साथ किसान की मेहनत सभी के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी होना बहुत ही आवश्यक होता है। लेकिन उससे भी ज्यादा आवश्यक होता है कि बीजों का महत्व अच्छे से जानना।
यह बात किसानों को पता होती है कि अच्छी क्वालिटी का बीज सामान्य बीज से 25% ज्यादा पैदावार करता है। इसी कारण से शुद्ध, प्रमाणित और स्वस्थ बीज ही अच्छी पैदावार करता है। अगर किसान प्रमाणित बीजों का इस्तेमाल करते हैं तो एक तरफ उनको अच्छी पैदावार तो मिलती ही है लेकिन उसी के साथ साथ पैसा और समय की बचत भी होती है।
अगर किसान अशुद्ध बीज को इस्तेमाल करता है तो उससे फसल की पैदावार अच्छी नहीं होती और साथ ही साथ बाजार में भी अच्छी कीमत नहीं मिलती है। साथ ही साथ अगर अशुद्ध बीज का इस्तेमाल करते हैं तो उससे उत्पादन तो कम होगा ही लेकिन भविष्य के लिए भी आपको अच्छा बीज प्राप्त नहीं हो पाएगा।
किसानों को हर सीजन की फसल करने के लिए हर बार बाजार से एक नया बीज खरीदना होता है। आपको बता दें कि अगर फसल करते हैं तो फसल का एक बड़ा हिस्सा उसके बीच पर खर्च हो जाता है। साथ ही साथ अगर बीच की क्वालिटी खराब आ जाती है तो किसान की पूरी मेहनत पानी-पानी हो जाती है।
साथ ही साथ जब किसान बाजार से बीज मंगाते हैं तो उसका चमकदार पैकेट यह साबित नहीं करता कि अंदर कैसा बीज निकलेगा। इसकी कोई भी गारंटी नहीं होती है। इसलिए यह बेहतर होगा कि किसान खुद का ही बीज तैयार कर लिया करें। इससे पैदावार अच्छी हो जाएगी और मुनाफा भी होने लगेगा।
अगर किसान फसल उगाता है तो उसे अनाज के तौर पर ना उगा कर उसे बीज के रूप में उगा लें। जिसके बाद किसानों को आमदनी में कई गुना बढ़ोतरी प्राप्त होगी। यह इसलिए क्योंकि आप सभी को पता है कि फसल के समय में मंडी में क्या भाव होता है।
सबसे बढ़िया बात तो यह है कि बीज उत्पादन के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार भी किसानों के मत में है। साथ ही साथ सरकार द्वारा किसानों को बीज उगाने की तकनीक से लेकर देखभाल और वैज्ञानिक सलाह भी प्रदान की जाती है।
सबसे अच्छी बात तो यह है कि जिस तरह से किसान अपने गेहूं और सरसों या फिर ध्यान को सही कीमत पर बेचने के लिए इधर-उधर भटकते फिरते हैं, उन किसानों को बीज उत्पादन में कोई भी परेशानी नहीं हो पाएगी। यह इसलिए क्योंकि सरकार किसानों को बढ़िया बीज खरीदने के लिए भी सहायता करती है। यहां तक कि आपको बता दें कि सरकार या फिर कृषि विश्वविद्यालय कई बार गांव या निचले स्तर पर एक ग्रुप बनाकर बीज उत्पादन कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं। बीज उत्पादन
अगर कोई किसान बीज उत्पादन का कार्य शुरू करता है तो वह केवल एक आम किसान नहीं रह जाता है बल्कि एक बीच कारोबारी बन जाता है। जिस कारण से एक किसान अपने ही खेत में एक बीज उत्पादन का बिजनेस भी चला सकता है।
बिहार सरकार द्वारा “बने बीज निगम के बीज उत्पादक” नाम से एक अभियान चलाया गया है। इसीलिए इस किसान इस अभियान में शामिल होकर कृषि विद्या प्राप्त कर सकते हैं।
जानिए पूरा कार्यक्रम
1. इसके लिए आवश्यक है कि किसान के पास कम से कम 1 एकड़ जमीन अवश्य ही होनी चाहिए। यह जमीन पट्टे या बटाई पर भी हो सकती है।
2. जो भी किसान नए आए हैं उनको बीज उत्पादन के लिए पूरा आधार बीज दिया जाएगा।
3. साथ ही साथ किसान को बिहार स्टेट सीड एवं ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी से निबंधन या फिर प्रमाणन के लिए निबंधन शुल्क ₹50 देना होगा और साथ ही साथ प्रमाणन शुल्क ₹100 देने पड़ेंगे।
4. निगम द्वारा प्रमाणन शुल्क के रूप में ₹250 प्रति हेक्टेयर की राशि किसानों को प्रदान की जाएगी।
5. जो भी बीज उत्पादक किसानों से एग्रीमेंट का खर्चा किया जाएगा वह बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड से पूरा खर्चा लिया जाएगा।
6. जो भी किसानों द्वारा क्वालिटी वाले बीज उत्पादक किए जाएंगे वह शत प्रतिशत मात्रा में निगम में दिए जाएंगे।
7. साथ ही साथ निर्गत अंतिम प्रतिवेदन (LIR ) के आधार पर ही बीज इकट्ठा होगा।
8. MSP यानी की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 20 फीसदी राशि का क्रय मूल्य जोड़ कर तय किया जाएगा।
9. सबसे पहले बीज को प्रयोगशाला में जांच के बाद निगम के द्वारा फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर की राशि किसानों को पहली किस्त के रूप में उनके खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
10. जो भी शेष राशि बचेगी उसका भुगतान प्रोसेसिंग के बाद किया जाएगा।
11. जो भी बीज उत्पादक किसान है उन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के द्वारा प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाएगी।
बिहार के साथ-साथ कई राज्यों की सरकारें भी कृषि विश्वविद्यालय या फिर कृषि विज्ञान केंद्रों के द्वारा बीज उत्पादन में किसानों की सहायता करते रहते हैं। जो भी किसान ऋषि विद्या प्राप्त करना चाहते हैं वह अपने जिले के कृषि अधिकार या फिर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से बातचीत करके इस बारे में और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
यह जो समय है वह रबी फसलों की बुवाई करने का है। जिस वजह से अगर किसान खेत तैयार करते समय कृषि वैज्ञानिकों से मिलकर और बातचीत कर कर बीज उत्पादन की तकनीक प्राप्त करें। जिसके बाद सरसों या गेहूं का बीज तैयार करें तो निश्चित रूप से उनको अपनी आम पसंद के मुकाबले कई गुना ज्यादा मुनाफा हो सकता है।