Samundrayaan Mission: क्या है चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत का समुद्रयान मिशन इससे क्या होगा भारत को लाभ जाने पूरी खबर
Samundrayaan Mission:
क्या है चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत का समुद्रयान मिशन इससे क्या होगा भारत को लाभ भारत ने अंतरिक्ष में बहुत बड़ा इतिहास रचा है। हमने चंद्रयान मिशन को सफल किया है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब भारतीय साइंटिस्ट तेज गहरे समुद्र में खोज के लिए अब नया मिशन शुरू करेंगे।इस मिशन को समुद्रयान प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाएगा। यह मिशन, समुद्र की गहराइयों में अंदर छिपे खनिजों के राज पर से पर्दा उठाएंगी। समुद्रयान मिशन में कोबाल्ट, निकिल, मैंगनीज वह अन्य कीमती एलिमेंट्स और अन्य खनिजों की खोज की जाएगी।और स्वदेशी पनडुब्बी को 6 हजार मीटर गहराई में नीचे गहरे पानी में भेजा जाएगा।और इस मिशन में तीन व्यक्ति जाएंगे।
यह भी देखे :
MP bijli bill mafi 2023 खुशखबरी एमपी में बिजली बिल माफ को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की घोषणा लोग हुए खुश ,जाने डिटेल्स
मत्स्य 6000 सबमर्सिबल दो साल से चल रहा:
अब आपको बता दे मत्स्य 6000 नामक सबमर्सिबल का निर्माण देश में कम से कम2 वर्ष से चल रहा है।और मत्स्य 6000 का पहला टेस्ट चेन्नई के तट से दूर बंगाल की खाड़ी में 2024 में किया जाएगा।और टाइटैनिक के मलबे का पता करने के लिए जून 2023 में उत्तरी अटलांटिक महासागर में टूरिस्ट्स को ले जाते समय हुए एक्सीडेंट के बाद भारत ने अपनी स्वदेशी पनडुब्बी को बनाने में अधिक सावधानी रखना शुरू कर दी गयी है।और मत्स्य 6000 को निकिल, कोबाल्ट, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स आदि अधिक मूल्यवान खनिजों की खोज के लिए भेजा जाएगा।और यह गहरे समुद्र में हाइड्रोथर्मल वेंट और कम तापमान वाले मीथेन रिसाव में उपलब्ध केमोसिंथेटिक जैव विविधता की भी जांच करेगा।
यह भी देखे :
MP Weather Update: मप्र में अगले 24 घण्टे भारी बारिश का हाई अलर्ट जारी, आवश्यक काम से ही घर से निकले बाहर, देखिए न्यूज़
कौन कर रहा है मत्स्य 6000 का निर्माण:
अब आपको सबसे महत्वपूर्ण बात बता दे राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान एनआईओटी द्वारा मत्स्य 6000 को अधिक विकसित किया जा रहा है। एनआईओटी के साइंटिस्ट को इस सबमर्सिबल की डिजाइन, टेस्टिंग प्रॉसेस, सर्टिफिकेशन, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल्स के रिव्यू की भी जिम्मेदारी दी गयी है।और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया कि समुद्रयान मिशन को गहरे महासागर में खोज के लिए पेश किया जा रहा है।और हम 2024 की पहली तिमाही में 500 मीटर की गहराई पर समुद्री परीक्षण करेंगे।और फिर इस मिशन के 2026 तक पूरा होने का चांस है।और अभी तक अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन सहित सिर्फ कुछ देशों ने मानव युक्त पनडुब्बी विकसित की है।
यह भी देखे :
किसानो की बल्ले बल्ले 60% अनुदान पर सोलर पंप देगी मप्र सरकार, जल्दी आवेदन करे !
एनआईओटी के निर्देशक जी ए रामदास ने बताया कि तीन व्यक्तियों के लिए मत्स्य 6000 का 2.1 मीटर व्यास वाले गोले का डिजाइन और बनाया गया है। और यह गोला 6,000 मीटर की गहराई पर 600 बार समुद्र स्तर के दबाव से 600 गुना अधिक के बहुत भारी दबाव को सहने के लिए 80 मिमी मोटी टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया जा रहा है। और सबमर्सिबल को 96 घंटे की ऑक्सीजन आपूर्ति के साथ 12 से 16 घंटे तक लगातार संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह भी देखे:
किसानो की बल्ले बल्ले 60% अनुदान पर सोलर पंप देगी मप्र सरकार, जल्दी आवेदन करे !
E Shram Card:जिनके पास होगा यह ई-श्रम उन्हें मिलेंगे अनेको लाभ,करना होगा इस तरह रजिस्ट्रेशन
Samundrayaan Mission: क्या है चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत का समुद्रयान मिशन इससे क्या होगा भारत को लाभ जाने पूरी खबर