नई दिल्ली: सरकार ने देखा जाए तो अब ग्रामीण परिवारों को प्रत्येक वर्ष 50,000 रुपए देने का निर्णय लिया है। यह पैसा जैविक खेती को प्रोत्साहित करने को लेकर देने का कार्य किया जा रहा है। सरकार अब परंपरागत खेती के अलावा जैविक खेती को भी प्रोत्साहन देना अहम होता है। जैविक खेती में कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है और इससे मिट्टी भी उर्वर और उपजाऊ बनाने में मदद करता है।
इसी लिए परंपरागत कृषि विकास योजना को शुरु करने का कार्य करना जरुरी होता है । इस योजना के तहत जैविक खेती कर रहे सभी किसानों को 50,000 रुपए प्रति वर्ष की आर्थिक सहायता देने का कार्य किया जा रहा है। यहां इस पोस्ट में आप Paramparagat Krishi Vikas Yojana से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में जानना अहम होता है।
रासायनिक खाद तथा कीटनाशक मुक्त जैविक खेती को बढ़ावा देने को लेकर देखा जाए तो वर्ष 2015-16 में इस योजना का शुभारंभ किया जा चुका है। Paramparagat Krishi Vikas Yojana के अन्तर्गत बात करें तो पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को मिला कर एक नया कृषि का मॉडल बनाया जा रहा है। इससे मिट्टी उपजाऊ बनने जा रही है, साथ ही साथ किसानों की आय में बढ़ोतरी होने वाली है। इस योजना के तहत किसानों को क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण तथा फसल की मार्केटिंग के लिए सहयोग प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है।
किस तरह मिलता है परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) में मिल रहा है पैसा
इस योजना में आवेदन करने वाले को देखा जाए तो किसानों को 3 वर्षों को लेकर 50000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आर्थिक सहायता मिलना शुरु हो जाती है। इनमें से 31000 रुपए जैविक खाद, जैविक कीटनाशक तथा अच्छे बीज खरीदने को लेकर दिया जा रहा है। 8800 रुपए फसल के मार्केटिंग और विपणन के लिए देने को लेकर कार्य किया जा रहा है। शेष पैसा किसानों की आर्थिक सहायता दशा सुधारने को लेकर देना अहम होता है। यह राशि सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जा रहा है।
Paramparagat Krishi Vikas Yojana का क्या होता है उद्देश्य
परम्परागत कृषि विकास योजना की मदद से देश में बढ़ रही रासायनिक खाद का प्रयोग कम करने का रखा गया है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी बढ़ने जा रही है और वह ज्यादा उपजाऊ और पोषक बनने का कार्य कर सकती है। जैविक खेती में उपजे अन्न से स्वास्थ्य भी बेहतर बनना शुरु हो गया है।