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मां बेटे की जोड़ी का कारनामा: एक दिन के वर्कशॉप में मशरूम उगाने के आसान तरीके और भरपूर पैदावार वाली खेती के बारे में सिखाया गया

    • मां बेटे की जोड़ी का कारनामा

      Mushroom Farm: एक मशहूर कहावत है अगर आप जीवन में कुछ अलग करना चाहते हैं तो कुछ भी संभव हो सकता है. केरल के एक मां-बेटे की जोड़ी ने इस कहावत को सच करके दिखाया है. जीतू थॉमस और उनकी मां लीना थॉमस Mushroom farming के जरिए सफलता की एक नई कहानी लिख रहे हैं.

       

      एक पैकेट से लेकर 40,000 तक की कमाई

      मां-बेटे की इस जोड़ी ने मशरूम की खेती (Mushroom farming) की शुरुआत एक पैकेट रोजाना से की थी. अब जब कामकाज के 4 साल हो चुके हैं, मां-बेटे की यह जोड़ी मशरूम की खेती से रोजाना ₹40,000 कमा रही है.

       

      जीतू थॉमस की पढ़ाई

      जीतू थॉमस ने फिजिक्स में बैचलर डिप्लोमा और सोशल वर्क में डिप्लोमा किया हुआ है. कुछ साल पहले तक एनजीओ के साथ सोशल एंटरप्रेन्योर के रूप में काम कर रहे थे. उस समय मशरूम फार्मिंग (Mushroom farming) के बारे में सोचना संभव नहीं था.

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    • खेती से पहले ट्रेनिंग

      इस समय जीतू थॉमस सिर्फ 19 साल के थे और उन्होंने अपनी मां लीना थॉमस के साथ Mushroom farming शुरू कर दी. मशरूम की खेती से पहले जीतू ने काफी ऑनलाइन रिसर्च किया और 1 दिन का वर्कशॉप भी अटेंड किया.

       

      साइंटिफिक तरीके से की खेती

      एक दिन के वर्कशॉप में मशरूम उगाने के आसान तरीके और भरपूर पैदावार वाली खेती के बारे में सिखाया गया. जीतू ने छोटी अवधि में मशरूम की खेती (Mushroom farming) से अधिक कमाई करने के लिए साइंटिफिक तरीके का इस्तेमाल किया.

       

    • कोरोना संकट में भी बेहतर

      जीतू और उनकी मां कोरोना संकट के दौर में भी बिना नुकसान उठाए कारोबार करते रहे और संकट से बाहर निकल आए. मशरूम की खेती में मौसम और तापमान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

       

    • तापमान मेंटेन करने की जरूरत

      जीतू ने मशरूम फार्मिंग (Mushroom farming) के लिए जरूरी तापमान को मेंटेन करने के लिए अलग-अलग चीजें जुटाई. उन्होंने अपने कमरे को इस तरह तैयार किया जिससे कि मशरूम के कई बेड तैयार किए जा सकें.

       

    • चार साल में होने लगा मुनाफा

      जीतू थॉमस और उनकी मां का Mushroom farming 4 साल के अंदर ही सफलता की नई इबारत लिख रहा है. लीना थॉमस के मुताबिक साल 2012 में मशरूम फार्मिंग (Mushroom farming) शुरू की गई थी.

       

      रोजाना 200 किलो मशरूम

      इस समय जीतू और लीना रोजाना 200 किलोग्राम मशरूम की खेती (Mushroom farming) कर पा रहे हैं. वह अर्नाकुलम जिले में 100 से अधिक खुदरा दुकानों पर अपना मशरूम बेचने के लिए पहुंचा देते हैं.

       
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