नई दिल्ली: निवेशक हमेशा योजना बनाते रहते हैं कि स्टॉक मार्केट (Stock Market) में उसका पैसा कई गुना दोगुना होने के बाद फायदा मिलना शुरू हो जाता है। इसे हम मल्टीबैगर रिटर्न (Multibagger Returns) कहते हैं। यहां ’10-बैगर’ शब्द बड़ा प्रचलित माना जा रहा है।
इसका मतलब है कि ऐसा निवेश जिसमें लगाई गई रकम 10 गुना तक पहुंच गया है। लेकिन 10- बैगर (10-Bagger) से आगे रास्ता खुलता है 100- बैगर (100-Bagger) का। यानी निवेश की रकम का 100 गुना हो जाता है।
आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसा भी हो सकता है! जी हां, भारत में 100-बैगर शेयर्स (100-Bagger Shares) की कमी नहीं मानी जा रही है। दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं, जो इस स्तर तक पहुंची हैं। इंफोसिस, टाइटन, एचडीएफसी बैंक, एशियन पेंट्स सहित कई ऐसे शेयर मौजूद हो गए है, जिनमें निवेशकों की रकम 100 गुना हुई है। हालांकि, इसमें काफी लंबा वक्त लगना शुरू हो जाता है। हम मोटे तौर पर देखें, तो बीएसई सेंसेक्स जो 1979 में 100 रुपये के बेस के साथ शुरू हुआ था, वह फरवरी, 2006 में 10,000 अंक का आंकड़ा छूकर पहली बार 100-बैगर पर पहुंच गया था। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि वह कौन-सी रणनीति है, जिससे हम अपने पैसे को 100 गुना करने के बाद फायदा ले सकते हैं।
हम कुछ वर्षों में देखा जाए तो 1 को 100 में बदलना जा रहे हैं। इस सूत्र में r सालाना रिटर्न और t वर्ष को दर्शाता है। निवेशक इस सूत्र को कई तरीकों से यूज करना अहम होता है। उदाहरण के लिए, आपको 30 साल में अपने एक लाख रुपये को एक करोड़ रुपये बनाना है, तो आपको 16.6 फीसद के सालाना रिटर्न की जरूरत होगी। इसके साथ ही आप इस सूत्र से यह भी जान सकते हैं कि एक निश्चित रिटर्न पर अपनी रकम को 100 गुना करने में आपको कितना वक्त लगेगा। जैसे अगर आपको 12 फीसद रिटर्न मिलने जा रहा है।
तो आपके एक लाख रुपये 40.6 साल में एक करोड़ बनाए जा रहा है। इसी तरह 15 फीसद के सालाना रिटर्न पर आपको अपने निवेश को 100 गुना करने में 33 साल लगने जा रहे हैं। वहीं, आप 11 वर्षों में अपना पैसा 100 गुना करना चाहते हैं, तो आपको एक ऐसे निवेश की पहचान करनी होगी, जो इस अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष 50% तक रिटर्न मिल जाता है।
कौन-सी कंपनी देने जा रही है मल्टीबैगर रिटर्न
मल्टीबैगर रिटर्न उसी कंपनी के शेयर से मिलेगा, जो लगातार ग्रो कर रही होने वाली है। यह एक ऐसी कंपनी होनी चाहिए, जिसके राजस्व में वृद्धि होने जा रही है। उसकी कमाई बढ़ रही हो। उसका मार्जिन बढ़ रहा हो। उसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़ रही हो और बहुत जरूरी है कि इस कंपनी की प्रति शेयर कमाई बढ़ना शुरू हो चुका गौ। यह आखिरी चीज इतनी महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि शेयर की कीमत लंबी अवधि में अर्निंग्स पर शेयर को फॉलो करना होता है। इसलिए किसी कंपनी का ईपीएस (EPS) ऊपर जाता है, तो हमेशा उस कंपनी के शेयर की कीमत भी ऊपर जाना होता है।
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