MADHYAPRADESH KI DIARY जब होंगे ईमानदार प्रयास तब योजनाओं के पंख लगाकर रोजगार के लिए उड़ान भर पाएंगे युवा,अपनी 65 फीसद युवा शक्ति के दम पर हम यह दावा जोर-शोर से करते हैं कि हम दुनिया के सबसे युवा देश हैं। लेकिन क्या हर युवा के हाथों में रोजगार है देश के ह्रदय स्थल मध्यप्रदेश के संदर्भ अब तक उठते इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं था। प्रदेश के जिलों में 53 रोजगार कार्यालय संचालित होने के बाद भी नौकरियों के हाल अच्छे नहीं है। बीते साल इन कार्यालयों में 39 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया लेकिन साल बीतने के बाद तक भी आधा सैकडा उम्मीदवार भी सरकारी नौकरी प्राप्त नहीं कर सकेहै।
नौकरियों के जाल में उलझे लाखों युवाओं की उम्मीदें इस बार नए सपने देख रही हैं। मध्यप्रदेश सरकार की’मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना‘ युवाओं के लिए स्वालंबन,परिश्रम और उद्यम की नई राह बनाने की और इशारा कर रही है। 18 से 29 वर्ष के युवाओं को इस योजना के माध्यम से न सिर्फ अपने मनपसंद क्षेत्र में हुनरमंद बनने का अवसर मिलेगा बल्कि काम सीखने के लिए सैलरी भी सरकार देगी।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं:- फिनिशिंग स्कूल के कांसेप्ट पर युवाओं को फोकस स्किल सिखाएंगे। उन्हें जमीनी स्तर पर चल रहे प्रोजेक्ट को समझने का मौका दिया जाएगा। बड़े समूहों के साथ जुड़कर युवाओं को अपने कौशल को और बेहतर करने का अवसर भी यह योजना देगी। युवा विदेशी कंपनियों के साथ भी कार्य का अनुभव प्राप्त कर पाएंगे। इस योजना में 23 राज्यों की 11 हजार से ज्यादा कंपनियां भी रजिस्ट्रेशन करवा चुकी हैं।
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नवाचार की कमी ने भी रोकी राह-
सरकार के र्स्टाटअप इंडिया प्रोगाम से यह उम्मीद की जा रही थी कि युवा अपना उद्यम शुरू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेंगे। शुरूआती रुझान देखकर यह अनुमान सही भी लगा है । मध्यप्रदेश के र्स्टाटअप ने देशभर में झंडे भी गाड़े। लेकिन छोटे र्स्टाटअप सफलता का स्वाद नहीं चख पाए। नए आइडिया और प्रशिक्षण की कमी के साथ-साथ खराब बुनियादी ढांचे की वजह से इसकी सफलता प्रतिशत अधिक नहीं रहा।
रोजगार योजनाओं की स्थिति देखने के बाद ही प्रदेश सरकार ने इस बार बुनियादी प्रशिक्षण को योजना में शामिल किया है ताकि क्षेत्र विशेष में काम करने के इच्छुक युवा पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरें। ऐसी ही कहानी लघु उद्योगों की भी रही। शासन ने सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए ढेरों योजनाएं तो बना डाली लेकिन अपना उद्यम तैयार करने का स्वप्न लेकर आने वाले युवाओं की दुश्वारियों पर ध्यान नहीं गया।
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आपका होना चाहिए ईमानदार प्रयास –
रोजगारोन्मुखी योजनाओं की सफलता सबसे ज्यादा इसी पर निर्भर करती हैं कि उनके लिए बुनियादी ढांचा किस तरह तैयार किया जाता है। मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना में पंजीकृत और प्रशिक्षित युवाओं की असली परीक्षा प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद होगी। अपना उद्यम शुरू करने के लिए प्रयासरत युवा उत्साह और जोश से लबरेज होंगे।शासकीय तंत्र को यहां उनके लिए व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करना चाहिए। बैंक लोन से लेकर औद्योगिक क्षेत्रों के लिए अनुमतियों तक सबकुछ तय समय सीमा में युवाओं को मिल जाएं ताकि वे बगैर किसी परेशानी के अपना उद्यम तैयार कर सके। यदि तंत्र ने ईमानदारी से इस पर अमल किया तो निश्चित ही सीखकर कमाने की जो मंशा इस योजना के मूल में निहितार्थ है उसके सफल होने में अधिक वक्त नहीं लगेगा।
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