किसान कैसे करें जैविक खेती का पंजीयन एवं बेचने की प्रक्रिया।
किसान कैसे करें जैविक खेती का पंजीयन एवं बेचने की प्रक्रिया।
आज के इस समय में हम सब जैविक खेती की ओर बहुत तेजी से बढ़ रहे और आखिरकार बढ़े भी क्यों ना क्योंकि जिस तरीके से आजकल हर जगह पॉपुलेशन और पोलूशन दोनों का ही जमावड़ा बढ़ता जा रहा है।
तो हर कोई प्राकृतिक की ओर भागता जा रहा है क्योंकि प्राकृतिक में ही हमारा जीवन है और हमारे जीवन की आगे बढ़ने की वृद्धि की गति है। आज के समय में जैविक खेती की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
आपको बता दे तो जैविक खेती आपके स्वास्थ्य के लिए और आपके आने वाले समय के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदाई है क्योंकि इस खेती में हम गोबर के खाद, कंपोस्ट , जीवाणु खाद फसल अवशेष ,फसल चक्र और प्रकृति से मिलने वाले बहुत सारे खनिज पदार्थों के द्वारा पौधों को और पैरों को पोषक तत्व देते हैं।
आज हम जानेंगे कि आखिरकार किस तरीके से हम जैविक खेती के लिए पंजीयन कर सकेंगे और उसके क्या क्या प्रक्रिया है तो आइए जानते हैं उन सारी प्रक्रियाओं के बारे में।
पंजीयन करने की शर्तें।
कृषक का यह दायित्व होगा कि अपने खसरा नंबर के सम्पूर्ण रकबे अथवा आंशिक क्षेत्र में जैविक खेती करेगी तथा यह वह उस भूमि में प्रतिवर्ष खरीफ/ रबी/ जायदा में लगाई जाने वाली फसलें जैविक पद्धतियों से ही बोयेगा |
भूमि के ततों की आपूर्ति, कीट व्याधि, नींदा नियंत्रण में किसी प्रकार के रसायनों (रासायनिक खाद / दवा) का उपयोग नहीं करेगा |
कृषि विभाग के मार्गदर्शन में फसल चक्र अपनाया जावे |
जैविक फसलों के उत्पादन में काम आनेवाले स्प्रे पंप अलग रखना होगा तथा इसका उपयोग रासायनिक दवाओं आदि के छिड़काव में नही किया जावेगा |
खसरे के सम्पूर्ण रकबे में जैविक खेती न करने की स्थिति में खेत के अंदर विभाजन रेखा स्वरूप तीन मीटर चौड़ी पट्टी में अन्य फसल बोयेगा ताकि अन्य फसलों पर रसायनों का प्रभाव जैविक खेती पद्धति से बोई गई फसल पर न पड़े।
पंजीयन हेतु आवेदन के साथ राशी रु. 25 /- प्रति हेक्टेयर की दर से ग्रामसभा में जमा करना होगा |
खरीफ फसल हेतु 15 मई, रबी हेतु 30 सितम्बर एवं जायदा फसल हेतु 15 फ़रवरी आवेदन देने की अंतिम तिथि होगी |
प्रथम वर्ष के उत्पादित बीज का उपयोग दुसरे वर्ष करना होगा |
अर्थात जैविक खेती में उत्पादित बीज में उपयोग किया जावे |
फसल कटाई उपरांत किसी भी प्रकार की मिलावट (अन्य किस्में, धुल, मिट्टी आदि) नहीं होना चाहिए |
भंडारण में रसायन का प्रयोग न किया जावे |
विभिन्न मौसम में बोई जाने वाली फसल के पंजीकरण हेतु अलग – अलग आवेदन देना होगा | पंजीयन क्रमांक में परिवर्तन नही होगा , किन्तु पंजीयन शुल्क देना होगा |
आवेदन निरिक्षण के समय वरिष्ठ कृषि अधिकारी / समिति द्वारा गए निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा |
पंजीयन करने की क्या प्रक्रिया है।
आपको बता दें कि पंजीयन करने की एक प्रक्रिया है जिस प्रक्रिया के ही जरिए आप अपना जैविक खेती के लिए पंजीयन कर सकेंगे। और वह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है।
कृषक को अनुबंध एवं आवेदन पत्र निर्धारित प्रारूप 1 एवं 2 में ऋण पुस्तिका की छाया प्रति के साथ ग्रामसभा को दो प्रतियों में प्रस्तुत करना होगा | इसकी एक प्रति ग्रामसभा को कृषि समिति की अनुशंसा सहित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को दी जावेगी |
ग्रामसभा की कृषि स्थायी समिति एक पृथक पंजी प्रारूप 3 के अनुसार तैयार करेगी | इसमें प्रतेक कृषक के लिए अलग – अलग पृष्ठ आवंटित किये जावेंगे तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने पर प्रविष्टियां पूर्ण की जावेगी | इसका सधारण क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा किया जावेगा |
वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखंड स्तर पर जैविक खेती की पंजी का संधारण निर्धारित प्रारूप 4 में करेंगे |
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