दिग्विजय सिंह का कहना था कि इन्हीं किसानों को लेकर वो डेढ़ महीने से वह मुख्यमंत्री से मुलाकात करना चाहते थे, उन्होंने यहां तक कहा कि वह मुलाकात का ब्यौरा भी दिखा सकते हैं, कि आखिरकार किस तरीके से मुख्यमंत्री कार्यालय ने समय देकर, समय वापस ले लिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दे तो, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शुक्रवार को मामला किसानों का था, लेकिन सुर्खियों में फिर से एक बार सियासत आ गई।
बात कुछ ऐसी हुई कि, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को एक दिन पहले मुलाकात का समय देने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अगले दिन बैठक को ही खारिज कर दी, और इस हरकत से नाराज़ दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री आवास पर धरने के लिए निकल पड़े, लेकिन पुलिस ने दूरदर्शन केंद्र के बाहर से बैरिकेडिंग करके उनको आगे जाने से रोक दिया गया।
इसी बात पर दिग्विजय सिंह धरने पर बैठ गए. उनके साथ बैठे समर्थकों ने रामधुन का पाठ धरने पर शुरू कर दिया। धरने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी वहां पहुंच गए।
अब ऐसे में सुर्खियों में दिग्विजय सिंह की धरने की तस्वीर, शिवराज-कमलनाथ की मुलाकात और दिग्विजय-कमलनाथ के धरने पर बैठने की तस्वीरें ही बाहर आने लगी, जबकि सामने किसानों की तकलीफ आनी चाहिए.
हालांकि दिग्विजय सिंह किसानों के के मामले को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा जताई थी और उनसे मिलने के लिए काफी मशक्कत भी कर रहे थे, टेम और सुठालिया सिंचाई परियोजना से भोपाल, विदिशा, गुना और राजगढ़ जिले में हजारों हैक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है.
सरकार कहती है इससे कई एकड़ जमीन सिंचित होगी. किसानों का कहना है कि खुले बाजार में जमीन 12-18 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर तक है, सरकार हमें इसका आधा रुपया भी नहीं दे रही।
लटेरी के शंकर दयाराम ज़मीन के नक्शे को दिखाते हुए कहते हैं कि मेरी ज़मीन 77 नंबर की है, आसपास सब डूब में है, मेरा नहीं है, दूसरों को मुआवजा कब का मिल गया लेकिन मुझे अभी तक सरकार द्वारा कुछ नहीं मिला।
वहीं बलराम 2 लाख का बीघा बता रहे हैं, और आरोप लगा रहे हैं कि अधिकारी जबर्दस्ती करते हैं ज़मीन की नपती के वक्त। बैरागढ़ के ही हरी सिंह कहते हैं कि सर्वे बहुत पहले ही, हो चुके हैं , ना तो हमें कोई मुआवजा मिल रहा है, ना हमारी कुटी ( प्रधानमंत्री आवास) है, ना ही शौचालय मिला है अभी तक।
दिग्विजय सिंह का बस यही कहना है इन्हीं सारे मुद्दों को , वो डेढ़ महीने से मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा जता रहे थे। वो मुलाकात का ब्योरा भी जनता को दिखाते हैं और ये भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने वक्त देकर, वक्त ले लिया।
उन्होंने बताया कि 18 तारीख की रात को 11:45 बजे मुख्यमंत्री निवास से प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने उन्हें फोन पर बताया कि मुख्यमंत्री ने 21 जनवरी को सुबह 11:15 बजे मिलने का समय दिया है.
उसके बाद 20 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास से मेरे कार्यालय पर फोन आया और हमें यह बताया गया की व्यस्त होने की जानकारी देते हुए मुलाकात को कुछ समय के लिए पीछे कर दिया गया है।