Homeब्रेकिंग न्यूज़कैसे करें काले चावल की खेती ? काले चावलों की मांग लगातार...

कैसे करें काले चावल की खेती ? काले चावलों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. यह कई बीमारियों में कारगर है.

काले चावलों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. यह कई बीमारियों में कारगार है. जैसे कि शुगर, ब्लड प्रेशर. शुरुआत में इन चावलों की खेती चीन में की जाती थी. लेकिन फिर पूर्वोत्तर के राज्य असम, सिक्किम, मणिपुर में काले चावलों की खेती शुरू की गई. जिसके बाद धीरे-धीरे इन चावलों की खेती अब मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में भी की जा रही है.

 
Black Rice Farm: काली धान की मांग को देखते हुए अब किसानों का रुख इस ओर बढ़ रहा है.
रंजीता पठारे, बेंगलुरु
Black Rice Farming: आजकल खेती के जरिये कई लोग लखपति बन रहे हैं. खेती की कुछ तकनीकों में बदलाव करके ही बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. ऐसी ही है काले चावल की भी खेती, जो आपको कम समय में अच्छा खासा मुनाफ़ा दिला सकता है. सामान्य चावलों की बाजार में कीमत 40 रुपये से 200 रुपये तक होती है. वहीँ काले चावल 500 रुपये प्रति किलो मिलते हैं. आज हम जानेंगे ब्लैक राईस की खेती से जुडी सारी जानकारियां.

लगातार बढ़ रही है मांग
काले चावलों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. यह कई बीमारियों में कारगर है. जैसे कि शुगर, ब्लड प्रेशर. शुरुआत में इन चावलों की खेती चीन में की जाती थी. लेकिन फिर पूर्वोत्तर के राज्य असम, सिक्किम, मणिपुर में काले चावलों की खेती शुरू की गई. जिसके बाद धीरे-धीरे इन चावलों की खेती अब मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में भी की जा रही है. लगातार बढ़ रही काली धान की मांग को देखते हुए अब किसानों का रुख इस ओर बढ़ रहा है.

कैसे हुई काले चावलों की पहचान
प्राचीनकाल में लोग काले चावल को खाने से परहेज करते थे. लेकिन धीरे-धीरे चीन के कुछ लोगों ने इनका सेवन शुरू शुरू किया. जिसके बाद पता लगा कि काले चावलों के सेवन से कई प्रकार की बीमारियाँ ठीक होने लगी. जिसके बाद इसकी खेती की शुरुआत हुई. यह कैंसर जैसी बीमारियों से भी लड़ने में कारगार माना जाता है.

औषधीय गुणों से भरपूर हैं काले चावल
ब्लैक राईस यानी काले चावल सामान्य चावलों के जैसे ही होते हैं. इन्हें तैयार होने में लगभग 100 से 110 दिन लगते हैं. इनके पौधे सामान्य धान के पौधे से थोड़े लम्बे होते हैं. ये पौधे काफी मजबूत होते हैं. जिससे तेज हवाओं में भी इनके पौधे के टूटने की समस्या नहीं होती. औषधीय गुणों से भरपूर इन चावलों की मांग विदेशों में भी काफी है. इनमें ब्राउन राईस से ज्यादा गुण होते हैं. इसमें विटामिन ई, विटामिन बी, आयरन, कैल्शियम, जिंक जैसे पोषक तत्व शामिल है. पकने के बाद इनका रंग बदलकर बैगनी–नीला हो जाता है. इसी कारण इन्हें भारत में नीले चावल के नाम से भी जाना जाता है.

कैसे करें काले चावल की खेती ?
काले चावल की बुवाई के लिए सबसे अच्छा मई का महीना माना जाता है. सबसे पहले नर्सरी तैयार की जाती है. जिसे तैयार होने में लगभग एक महीना लग जाता है. नर्सरी तैयार होने के बाद खेत में पौधों की रोपाई की जाती है. सामान्य चावलों की तुलना में काले चावल की खेती में ज्यादा समय लगता है. रोपाई के लगभग 5 से 6 महीने में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इनके पौधे लगभग 6 फीट तक लम्बे होते हैं. एक बीघा जमीन में तीन किलों बीज लगाया जा सकता है.

सरकार कर रही प्रोत्साहित
यह कम पानी वाली जगह में भी आसानी से लग जाते हैं. इनकी धान भी काफी लम्बे होते हैं. इससे पांच सौ गुना से अधिक कमाई की जा सकती है. अब तो कई राज्यों की सरकारें भी इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं, ताकि इससे और अधिक मुनाफ़ा मकाया जा सके. अभी भी हमारे देश में काले चावलों के प्रति लोगों के पास अनुभव की कमी है. कम लोग ही इसकी खेती करते हैं. अभी भी बहुत से किसानों को इनके बारे में ज्ञान नहीं है. कई कृषि अनुसंधान केन्द्रों में किसानों को काले चावलों की खेती के बारे में जानकारी दी जाती है.

महत्वपूर्ण खबरे
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular