काजू
काजू जो कि एक ड्राई फ्रूट या फिर सूखा मेवा के नाम से जाना जाता है। काजू बहुत सारे व्यंजनों में भी इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही साथ इससे मिठाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसकी कई तरह की मिठाइयां भी बनती है और सबसे प्रसिद्ध काजू कतली भी बनती है। इसे खाने के कई सारे फायदे भी होते हैं जो कि हमारे स्वस्थ जीवन में काम आते हैं। काजू बहुत ही गुणकारी माना जाता है। तो आज हम आपको बताने वाले हैं कि काजू की खेती किस प्रकार की जाती है।
कहां कहां होती है काजू की खेती ?
अगर हम बात करें काजू की खेती की तो यह बड़े पैमाने पर केरल, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में होती है। लेकिन झारखंड जैसे राज्य में कुछ जिलों में जो बंगाल और उड़ीसा से सटे हुए हैं वह भी काजू की खेती बहुत अच्छी तरह से करते हैं। देखा तो यह भी गया है कि इन राज्य के पूर्वी सिंहभूम, पंडित सिंहभूम, सरायकेला खरसावां जैसे कुछ अन्य जिलों में काजू के देसी प्रजातियों को भी उप जाया जाता है।
लेकिन हां इन पौधों से बहुत ही गुणकारी काजू के नेट पैदा तो नहीं होते हैं लेकिन इससे हमें यह संकेत अवश्य मिल जाता है कि अगर हम इन क्षेत्रों में काजू की फसल करें। साथ ही साथ इनकी उन्नत किस्मों के बगीचे लगाए और उनका सही तरीके से ध्यान रखा जाए तो झारखंड में भी काजू का निर्यात संभव हो सकता है।
कैसे करें काजू की खेती ?
अगर आप काजू की खेती करना चाहते हैं तो उससे पहले खेत की झाड़ियों तथा घाटों को साफ कर दे और उसकी दो से चार बार जुताई भी कर दें। साथ ही साथ खेत की झाड़ियों की जड़ों को निकाल दे और खेत को बराबर मात्रा में कर दें। जिससे नई पौधों को पनपने में कोई भी कठिनाई ना आ सके। आपको बता दें कि जब काजू के पौधे लगाए जाते हैं तो उन्हें 7 से 8 मीटर की दूरी में लगाया जाता है। जिसके बाद जब खेत की तैयारी की जाती है तो अप्रैल और मई के महीने में निश्चित दूरी पर 60×60×60 सेंटीमीटर के आकार के गड्ढे तैयार हो जाते हैं।
अगर जमीन में कड़ी परत लगी हुई है तो गड्ढे के आकार को आवश्यकता के अनुसार बढ़ाया जाएगा तो अच्छा रहेगा। जब आप गड्डी बना देते हैं तो उनके पास ऐसी व्यवस्था कर दे जिससे वहां पर पानी ना रोक पाए। गड्ढे बनाने के बाद 15 से 20 दिन तक उसे खुला छोड़ने के बाद 5 किलोग्राम गोबर की खाद या कंपोस्ट डाल दे। साथ ही साथ 2 किलोग्राम रॉक फास्फेट या डीएपी के मच्छरों गड्ढे की ऊपरी मिट्टी में मिला कर उसे अच्छे से भर देना चाहिए।
काजू की फसल तोड़ाई कैसे होती है ?
जब काजू की फसल लगा देते हैं उसके बाद काजू में पूरे फल की तोड़ाई नहीं होती है। सिर्फ गिरे हुए नट्स को ही इकट्ठा करके इसे धूप में सुखाया जाता है। जिसके बाद किसी जूट के बोरों में उसे भरकर उनके स्थान पर रख देते हैं। हर एक पौधे से करीबन 8 किलोग्राम नट हर वर्ष मिल जाता है। जिसके कारण 1 हेक्टेयर में लगभग 10 से 15 क्विंटल काजू से नट मिल जाता है। इस नेट को प्रसंस्करण करने के बाद खाने योग्य बनाया जाता है।
काजू खाने के फायदे ?
आपने सुना होगा कि काजू से बहुत सारे फायदे होते हैं लेकिन हम आपको आज बताने वाले हैं कि काजू खाने से कैसे कैसे फायदे हो सकते हैं तो चलिए जान लेते हैं। काजू खाने से मूड अच्छा रहता है अगर हम काजू सुबह खा लेते हैं तो हमारा पूरे दिन मन लगा रहता है। साथ ही साथ अगर हम प्रतिदिन काजू का सेवन करते हैं तो हमारा दिमाग तेज होता है। डायबिटीज पर भी इससे बहुत अच्छा असर पड़ता है डायबिटीज को यह कम कर देता है।
अब बात आती है कैंसर की तो इससे भयानक बीमारी कोई भी नहीं होती है। अगर हम प्रतिदिन काजू का सेवन करते हैं तोकैंसर की बीमारी से भी हमें निजात मिल सकता है। साथ ही साथ अगर हम प्रतिदिन कार्यों का सेवन करते हैं तो हमारे चेहरे पर दमकता बनी रहती है और रूप निखरने लगता है। इसी के साथ साथ अगर हम प्रतिदिन इसका सेवन करते हैं तो हड्डियों की मजबूती भी बनी रहती है।
कैसी भूमि पर होती है काजू की खेती ?
अगर आप काजू की खेती करना चाहते हैं तो आपको यह ध्यान में रखना होगा कि उसके लिए कैसी भूमि की आवश्यकता होगी। आपको बता दें कि काजू की खेती को कई तरह की भूमियों पर किया जा सकता है। जब हम काजू की खेती करते हैं तो उसे ढलान वाली भूमि में कटाव रोकने के लिए भी करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि काजू की अच्छी फसल हो पाए तो उसे गहरी दोमट मिट्टी में इसकी फसल को उगाए। जानकारी के लिए आपको बता दें कि काजू वेस्टर्न कोस्टल एरियाज में बालू के ढेर पर भी अच्छी तरह से उठ जाता है।
कैसे होती है काजू की खेती की सिंचाई ?
हर एक फसल की तरह ही काजू की फसल को भी सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसमें जैसे ही बुवाई कर देते हैं तो सिंचाई भी शुरू कर देनी चाहिए। साथ ही साथ अगर आपके पास समय नहीं है तो इसे आप धीरे-धीरे 10 दिन के अंतराल में भी करने से इसमें अच्छी फसल आ जाएगी। जब काजू के पौधों में पत्तियां आ जाती है तो उसके बाद उसकी सिंचाई जरूरी हो जाती है।
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