हम सब जानते हैं कि गाजर carrots में भरपूर तरीके के पोषक तत्व मौजूद है जो कि हमारे वंश रोजमर्रा के जीवन में बहुत ही ज्यादा लाभदाई माना जाता है इसलिए हमें गाजर carrots का सेवन अवश्य करना चाहिए।
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जैसे ही हम सब गाजर carrots का नाम सुनते हैं तो हमारे दिमाग में एक बहुत ही सुंदर सा रंग प्रवेश करता है वह रंग है हल्का सा नारंगी।
और गाजर carrots का सबसे बेहतरीन एक ही डिश होता है जो कि सबका पसंदीदा होता है वह है गाजर का हलवा।
गाजर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु।
गाजर carrots की खेती ठंडी जलवायु की फसल है। गाजर की उन्नत खेती (carrot ki kheti) के लिए 8 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान सबसे ज्यादा सही माना जाता है।
गर्मी के मौसम में इस खेती को बिल्कुल भी ना करें और गर्म इलाके में इसकी फसल बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।
गाजर carrots खेती के लिए सही मिट्टी
आपकी जानकारी के लिए बता दे तो, दोमट मिट्टी गाजर carrots की अच्छी गुणवत्ता युक्त फसल के उत्पादन के लिए बहुत ही बेहतर है। गाजर की खेती करने के लिए मिट्टी को पूरी तरह से भुरभुरी कर लें।
गाजर carrots की खेत में जल निकासी की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए। अगर गाजर की खेत में पानी जमा होने की स्थिति में जड़ों के गलने और फसल के नुकसान होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है।
गाजर carrots की खेती का सही समय
गाजर की खेती के लिए बुआई का सही समय अगस्त से अक्टूबर के बीच का होता है। लेकिन गाजर की कुछ खास किस्म की बुआई के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय भी सबसे ज्यादा सही माना जाता है। इसे रबी के मौसम करें तो ज्यादा-से-ज्यादा उपज होता है।
ऐसे करें खेत की तैयारी
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया, मिट्टी की जानकारी में बताया कि भुरभुरी मिट्टी को गाजर की खेती (gajar ki kheti) के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। अतः मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए सर्वप्रथम दो से तीन बार हल से जुताई करनी चाहिए।
उसके बाद 3 से 5 बार पारंपरिक हल से जुताई करना और अंत में पाटा फेरना इन क्रियाओं को इसी क्रम में करने से अपने खेत की मिट्टी को गाजर की बुआई के लिए और गाजर की अच्छी खेती के लिए आप सही तरीके से तैयार कर सकते हैं।
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन।
आपको बता दे तो, गाजर की खेती के लिए अच्छी उर्वरक की बात करें तो सबसे उपयुक्त और बेहतर(gajar ki kheti) के लिए तीन प्रमुख उर्वरकों की आवश्यकता होती है।
नाइट्रोजन
पोटाश
डीएपी
अंतिम जुताई के समय लगभग 35 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद का उपयोग गाजर के अच्छे पैदावार में बहुत ज्यादा सहायक होता है।
बुआई के समय 30 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर उर्वरक की तरह प्रयोग करने से गाजर की बहुत ही अच्छी-खासी पैदावार होती है।
अंत में सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है 30 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर टॉप ड्रेसिंग की तरह मिट्टी में अच्छे से मिलाना। बुआई के चार से 5 सप्ताह के बाद इतनी ही मात्रा में नाइट्रोजन का उर्वरक की तरह उपयोग करना आपको गाजर की एक बहुत अच्छी पैदावार देता है।
नाइट्रोजन का उपयोग करने से पौधों में बहुत अच्छी वृद्धि होती है। यह गाजर की फसल की (gajar ki fasal) गुणवत्ता में सुधार लाता है। क्योंकि नाइट्रोजन मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में काफी ज्यादा मदद करता है।
इसी तरह पोटाश पानी में बहुत ज्यादा घुलनशील होता है और पौधों तक पोषक तत्व के रूप में अच्छी तरह से पहुंचता है। पोटाश से पौधे में फूल और फल दोनों ही स्वस्थ और ज्यादा मात्रा में आते हैं।
नाइट्रोजन और पोटाश दोनों की मदद से स्वस्थ पौधों का विकास होता है और अच्छी और अधिक फसल की प्राप्ति होती है।
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