आज के समय में एलोवेरा Aloe Vera की बाजार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसकी खेती किसान भाइयों के लिए एक बहुत बड़ा मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है।
हर्बल के क्षेत्र में और कास्मेटिक्स के क्षेत्र में इसकी मांग प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इन प्रोडक्टसों में अधिकांशत: एलोवेरा का ही उपयोग किया जाता है। सौंदर्य से जुड़े हुए सामान में इसका बहुत ही ज्यादा उपयोग होता है।
वहीं हर्बल उत्पाद व दवाओं में भी इसका भरपूर मात्रा में इसका उपयोग किया जाता है।
आज बाजार में एलोवेरा से बने उत्पादों की मांग काफी तेजी से बढ़ी हुई है। एलोवेरा का उपयोग फेस वॉश, एलोवेरा क्रीम, एलोवेरा फेस पैक और भी बहुत सारे प्रोडक्ट है ।
जिनकी मार्केट मेें बहुत ही ज्यादा मांग है।
इन्हीं वजहों से आज हर्बल व कास्मेटिक्स उत्पाद व दवाएं बनाने वाली कंपनियां एलोवेरा को काफी ज्यादा खरीदती है। आज के समय में बहुत सारी कंपनियां इसकी कॉन्टे्रक्ट के रूप में इसकी खेती भी कराती है। आपको बता दें तो एलोवेरा को व्यवसायिक तरीके से खेती की जाए तो इसकी खेती से सालाना 8-10 लाख रुपए तक भी कमाई की जा सकती है।
तो आइए जानते हैं, आखिरकार कैसे हम इसकी व्यवसायिक खेती कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
घृत कुमारी या अलो वेरा/एलोवेरा, जिसे क्वारगंदल, या ग्वारपाठा के नाम से भी विख्यात है। यह एक तरीके का औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है।
एलोवेरा का पेड़ एक ऐसा पेड़ है ,जो कि बिना तने का और बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है । इसकी लम्बाई 60-100 सेंटीमीटर तक होती है। इसका फैलाव नीचे से निकली हुई शाखाओं के द्वारा भी होता है।
एलोवेरा की पत्तियां भालाकार, मोटी और मांसल होती हैं जिनका रंग, हरा, हरा-स्लेटी होने के साथ कुछ किस्मों में पत्ती के ऊपरी और निचली सतह पर सफेद धब्बे होते हैं। एलोवेरा के पतियों के किनारों पर की सफेद छोटे दांतों की एक पंक्ति होती है। गर्मी के मौसम में एलोवेरा के पेड़ से पीले रंग के फूल उत्पन्न होते हैं।
आइए जानते हैं कि एलोवेरा की खेती के लिए कौन सा जलवायु जो है वह बेहतर है।
एलोवेरा के अच्छी फसल के लिए उष्ण जलवायु बहुत ही बेहतर रहती है। एलोवेरा की खेती खास कर के शुष्क क्षेत्र में न्यूनतम वर्षा और गर्म आर्द्र क्षेत्र में सफलतापूर्वक के साथ की जाती है।
एलोवेरा Aloe Vera की फसल ज्यादा ठंड के मौसम में बहुत संवेदनशील है। बात करें एलोवेरा Aloe Vera के लिए उपयुक्त मिट्टी या भूमि की तो इसकी खेती रेतीली से लेकर दोमट मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में भी की जा सकती है।
रेतीली मिट्टी इसके खेती के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त होती है। इसके अलावा एलोवेरा की फसल को अच्छी काली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है।
भूमि चयन करते समय हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि इसकी खेती के लिए भूमि ऐसी हो जो जमीनी स्तर थोड़ी ऊंचाई पर हो और खेत में जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि इसमें पानी ठहरना नहीं चाहिए। इसकी मिट्टी का पीएच मान 8.5 होना चाहिए।
अगर आप एलोवेरा Aloe Vera की फसल की अच्छी उपज जाते हैं तो इसके अच्छी उपज के लिए जुलाई-अगस्त में लगाना बहुत ही ज्यादा उचित रहता है। वैसे भी इसकी खेती सर्दियों के महीनों को छोडक़र पूरे वर्ष की जा सकती है।
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