गोबर गैस क्या है और इसे कैसे बनाते हैं। अभी तक हमने गोबर से खाद या बायोगैस बनते हुए देखा है लेकिन आज हम बात करेंगे कि आखिरकार गोबर से किस तरीके से सीएनजी बनाई जाती है।
यह उसी ऊर्जा से काम करती है जिस तरीके से हमारे घर में एसपीजी काम करती है। लेकिन उसके अंतराल में बहुत ही ज्यादा सस्ती और पर्यावरण के लिए भी अच्छी होती है।
आपको बता दें तो बायो सीएनजी हम गाय भैंस के गोबर और दूसरे पशु पक्षियों के के गोबर से भी बनाते हैं और साथ में सड़े गले सब्जियों के मदद से भी इसको बनाते हैं।
लेकिन प्लांट से निकली गैस को बॉयो सीएनजी बनाने के लिए अलग से मशीनें लगाई जाती हैं, जो थोड़ी महंगी तो होती है, लेकिन इस आधुनिक युग में एक बहुत बड़ा और कमाई देने वाला कारोबार साबित होता है।
आपको बता दे तो , महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में ऐसे कई प्लांट चल रहे हैं, लेकिन अब उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बहुत बड़े स्तर पर व्यसायिक प्लांट शुरु हो गया है।
आपको बता दें तो शहर में बहुत सारी डेरिया है जहां पर गोबर को नाली में बहा दी जाती है क्योंकि वहां पर गोबर को रखने की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है और शहर वाले हंगामा करने लगेंगे उसके बदबू की वजह से इसलिए गोब्रो को अच्छी तरीके से नाले में बहा दिया जाता है
लेकिन बहुत सारे कारोबारी जो कि गोबर के सहारे अपना कारोबार करते हैं वह इस गोबर गोबर को उन किसानों से अरुण गांव वालों से और उन शहर वालो से खरीदते हैं और फिर उनको उनके मुनाफे का सौदा देते हैं।
इससे दो फायदा होता है एक तो किसान भाइयों को उनका गोबर बेचकर कुछ मुनाफा मिल जाता है साथ में कारोबारियों को भी अच्छी गोबर मिल जाती है जिससे कि वह अच्छा और आराम से गोबर गैस का निर्माण कर सकें।
अगर आप भी गोबर गैस प्लांट बैठाना चाहते हैं या इस कारोबार के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले आपके पास इन सारी चीजों की जानकारी होना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है तो आइए जानते हैं.
कि गोबर गैस प्लांट बनाने के लिए आपको किन-किन चीजों की जरूरत पड़ सकती है।
यहां कुछ निम्नलिखित जानकारी है जो कि आपको गोबर गैस के बारे में वह सारी बातें और वह सारी जानकारियां देगी जो आपके लिए आगे चलकर बहुत ही ज्यादा लाभदायक होगा।
1- गोबर गैस से छोटे से छोटा प्लांट लगाने के लिए कम से कम दो या तीन पशु हमेशा होने चाहिए।
2- गैस प्लांट का आकार गोबर की दैनिक प्राप्त होने वाली मात्रा को ध्यान में रखकर करना चाहिए।
3- गोबर गैस प्लांट गैस प्रयोग करने की जगह के नजदीक स्थापित करना चाहिए ताकि गैस अच्छे दबाव पर मिलता रहे।
4- गोबर गैस प्लांट लगवाने के लिए उत्ताम किस्म का सीमेंट तथा ईंटें प्रयोग करनी चाहिएं। छत से किसी प्रकार की लीकेज नहीं होनी चाहिए।
5- गोबर गैस प्लांट किसी प्रशिक्षित व्यक्ति की देखरेख में बनवाना चाहिए।
अब हम बात करेंगे कि आखिरकार गोबर गैस का प्रयोग हम किस तरीके से कर सकते हैं और किस तरीके से अपनी खेती को और अपने कारोबार में मुनाफा कमा सकते हैं।
गोबर गैस प्लांट की स्थापना के बाद इसे गोबर व पानी के घोल (1 : 1) से भर दिया जाता है और चलते हुए प्लांट से निकला गोबर (दस प्रतिशत) भी साथ ही डाल दिया जाता है।
इसके बाद गैस की निकासी का पाइप बंद करके 10-15 दिन छोड़ दिया जाता है। जब गोबर की निकासी बाते स्थान से गोबर बाहर आना शुरू हो जाता है,
तो प्लांट में ताजा गोबर प्लांट के आकार के अनुसार सही मात्रा में हर रोज एक बार डालना शुरू कर दिया जाता है ।
तथा गैस को आवश्यकतानुसार इस्तेमाल किया जा सकता है एवं निकलने वाले गोबर को उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है जो गुणवत्ता के हिसाब से गोबर की खाद के बराबर होता है।
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