मध्य प्रदेश : गेहूं की सरकारी खरीद 46 लाख मीट्रिक टन पर ही सिमटी, सरकार को नहीं उठाना होगा 1215 करोड़ रुपए के ब्याज का भार
मंगलवार को प्रदेश में दूसरी बार बढ़ाई गई गेहूं की सरकारी खरीद सीमा भी समाप्त हो गई। आखिरी दिन सरकारी खरीद घटकर करीब 46 लाख मीट्रिक टन ही रह गई। सरकारी मूल्य पर गेहूं बेचने वालों में भोपाल संभाग सबसे आगे रहा। मध्य प्रदेश सरकार को आरबीआई से गेहूं खरीद के लिए 25,000 करोड़ रुपये की नकद ऋण सीमा प्राप्त हुई थी।
खरीद कम होने के कारण सरकार को महज 8.8 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ा। इससे सरकार पर सालाना 1215 करोड़ रुपये के ब्याज का बोझ नहीं आएगा। पिछले साल से खरीद में 64 फीसदी की कमी से खाद्य विभाग को निजी गोदाम को हर माह 75 करोड़ रुपये का किराया नहीं देना होगा। यह बचत सालाना 750 करोड़ होगी। इसे मिलाकर कुल बचत 1,965 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है।
आपको बता दे, भारत सरकार ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मप्र सरकार ने 16 मई को समाप्त हो रही गेहूं की सरकारी खरीद की समय सीमा बढ़ाकर 31 मई कर दी थी। इन 15 दिनों में सरकारी खरीद केंद्रों पर 4 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही आया। निर्यात पर रोक के बाद भी यहीं कारण रहा कि खुले बाजारों में गेहूं का भाव सरकारी दर 2015 रुपये क्विंटल से 200 रुपये ज्यादा चल रहा था।
मध्य प्रदेश के खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी तरुण पिथौड़े के मुताबिक, ” सरकारी खरीद में इस बार केवल 46 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं आने का अनुमान है। खरीद पिछले साल से कम होने से हमें वेयरहाउस का 75 करोड़ रुपए का किराया नहीं देना पड़ेगा। सरकारी गोदाम पहले खरीदे गए अनाज से भरे पड़े हैं।