Gehu Niryat Latest News | केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था यह प्रतिबंध 13 मई को लगाया गया। हालांकि इसमें कुछ रियायत भी प्रदान की गई। इस बीच केंद्र सरकार ने गेहूं निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। इसको लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में घोषणा की है।
निर्यात को लेकर यह निर्णय लिया (Gehu Niryat Latest News)
केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार गेहूं के निर्यात पर लगा प्रतिबंध फिलहाल हटने नहीं जा रहा है। जिसको लेकर केद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में यह स्थिति साफ की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल गेहूं निर्यात से प्रतिबंध हटाने का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास नहीं है। उल्लेखनीय है कि दुनिया के कई देशों सहित विश्व मुद्रा कोष ने भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की आलोचना की थी। जिसके तहत भारत के निजी कारोबारियों के लिए गेहूं निर्यात को फिर से खोलने की बात को लेकर सवाल किया गया था।
प्रतिबंध नहीं हटाने को लेकर यह दलील दी गई
दरअसल केद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अभी दुनिया में अस्थिरता का दौर है। ऐसे में यदि हम गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध हटा देंगे तो इसका फायदा कालाबाजारी, जमाखोरों और सट्टेबाजी को होगा। उन्होंने कहा कि यह न तो जरुरतमंद देशों के हित में होगा और न ही गरीब लोगों की मदद कर पाएगा। ऐसे में इससे बचने का स्मार्ट तरीका यह है कि सरकारी रुट के माध्यम से (जी2जी) से ही गेहूं का निर्यात किया जाए। ऐसे में हम जरुरतमंद और गरीब लोगों को सस्ता गेहूं उपलब्ध करा सकेंगे।
उन्हेंने कहा कि भारत के इस फैसले का मर्म समझने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और वैश्विक मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ संपर्क किया था।जिसको लेकर विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम में भारत के गेहूं निर्यात पर पाबंदी की आलोचना की थी। उन्होने कहा था कि अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं। जिससे इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक समुदाय तैयार नहीं हो पाएगा।
गेहूं निर्यात की प्रतिबंधित अधिसूचना में कुछ छूट
केद्र सरकार ने वाणिज्य विभाग के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा गेहूं निर्यात (Gehu Niryat Latest News) को 13 मई 2022 के प्रतिबंधित कर दिया गया था। बहरहाल इस आदेश में कुछ छूट दी गई है। जिसमें यह निर्णय लिया गया है कि जहां कहीं भी गेहूं की खेपों की जांच के लिए सीमा शुल्क विभाग को सुपुर्द कर दिया गया है और जो उनकी प्रणाली में 19 मई 2022 को या इसके पहले पंजीकृत कर लिया गया है, वैसी गेहूं की खेपो का निर्यात किया जाने की अनुमति होगी।
दरअसल केंद्र सरकार ने मिस्त्र की ओर जाने वाली गेहूं की खेप को भी अनुमति दी है जो कि पहले से ही कांडला बंदरगाह पर लोडिंग के तहत प्रतीक्षारत थी। जिसके बाद कांडला बंदरगाह पर लोड किए जा रहे गेहूं कार्गो को अनुमति दिए देने का मिस्र सरकार द्वारा अनुरोध किया गया। मिश्र को गेहूं के निर्यात के लिए सलंग्न कंपनी मैसर्स मेरा इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने भी 61,500 मैट्रिक टन गेहूं की लोडिंग को पूरा करने लिए अभ्यावेदन किया था, जिसमें से 44,340 मैट्रिक टन गेहूं पहले लोड किया जा चुका था और सिर्फ 17,160 मैट्रिक टन गेहूं का लदान किया जाना ही शेष था।
मंडियों में गेहूं की लेवाली कमजोर होने से भाव में नरमी
गेहूं निर्यात प्रतिबंध के बाद सरकार की ओर से और अंतरराष्ट्रीय बाजार से दो महत्वपूर्ण सूचनाएं आ रही हैं। आने वाले दिनों में ये बाजार पर असर डाल सकती हैं। पहला केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि निर्यात प्रतिबंधित होने के बाद फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर विदेश गेहूं भेजने वालों पर वह सख्ती करेगी।
सरकार सिर्फ लेटर आफ क्रेडिट (एलएसी) के आधार पर ही निर्यात अनुमति देगी। सरकार ने 13 मई को निर्यात प्रतिबंधित कर सिर्फ एलएसी के आधार पर ही खेप रवाना करने की अनुमति दी थी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई के पहले के एलएसी पर ही निर्यात अनुमति देने का आदेश दिया है। पूर्व में सरकारी अनुमान था कि निर्यात सौदे 45 लाख टन के हुए हैं।
बांग्लादेश निर्यात किया जा रहा है गेहूं
सरकार के पास जो एलएसी पहुंचे हैं वे करीब 55 लाख टन के हैं। यानी पुरानी तारीखों में एलएसी जारी करने की शंका गहराने लगी है। सरकार ने आदेश दिया है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों से एलएसी के फर्जीवाड़े की जांच करवाई जा सकती है। दूसरी ओर बांग्लादेश से खबर आ रही है कि वहां की सरकार ने 50 हजार टन गेहूं आयात के लिए टेंडर जारी किए थे।
इसमें सिंगापुर और भारत की कंपनियां कतार में थी। निचले दामों की वजह से टेंडर भारत की कंपनी के नाम होने की खबर है। हालांकि अब सवाल उठ रहा है कि देश की निर्यात प्रतिबंध की नीति के कारण कंपनी कैसे आपूर्ति कर पाती है। इस पर भी नजर है कि गेहूं की पूरी मात्रा की पूर्ति भारत के माल से की जाती है या फिर अन्य देशों से गेहूं खरीदा जाएगा। इधर भारतीय मंडियों में बुधवार को गेहूं के दाम नरम पड़ गए।
किसानों ने रोका गेहूं
Gehu Niryat Latest News | बंदरगाहों पर निर्यातक कंपनियां 2250 रुपये क्विंटल में डिलीवरी मांग रही है। स्थानीय कारोबारियों के लिए इतने कम दाम पर पड़ता नहीं लग रहा। ऐसे में व्यापारियों ने स्थानीय मंडियों में सौदे बंद कर दिए हैं। लेवाली कमजोर होने से मंडियों में दाम में नरमी आई। किसान भी माल रोकने में लगे हुए हैं। इंदौर की छावनी और लक्ष्मीबाई अनाज मंडी में बुधवार को कुल आवक 10 से 12 हजार बोरी से ज्यादा नहीं रही। दूसरी ओर निर्यात प्रतिबंध के तरीके से नाराज किसानों और व्यापारियों का विरोध प्रदेश में जारी है। व्यापारी कंपनियों द्वारा दाम घटाकर खरीदी करने और भुगतान रोकने का आरोप लगा रहे हैं।