Wheat Price: क्या दोगुने भाव में मिलेगा गेहूं? खुले बाजार में बढ़ी मांग, इन वजहों से सरकार की बढ़ सकती है मुसीबत
Wheat Prices Outlook: जियोपॉलिटिक्ल टेंशन के चलते अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिली है. घरेलू लेवल पर भी भविष्य में दाम बढ़ने की आशंका के चलते कारोबारियों के द्वारा किसानों से गेहूं उनके खेत से ही ज्यादा भाव में खरीद लिए जा रहे हैं. इससे सरकारी एजेंसियों के पास स्टॉक की कमी हो सकती है. जिस तरह की परिस्थितियां दुनियाभर में बनी हैं, उसे देखते हुए एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार को गेहूं निर्यात को लेकर एक बार फिर विचार करना चाहिए. बड़े कारोबारियां द्वारा खेत से ही गेहूं उठा लेने के चलते आगे देश में सप्लाई पर असर आ सकता है. इससे आने वाले दिनों में सरकार को ही दोगुने भाव पर गेहूं आयात करना पड़ सकता है. जिसका असर आम आदमी को होगा.
घट सकती है गेहूं की सप्लाई
ओरिगो कमोडिटीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बृजराज सिंह का कहना है कि अभी सरकार गेहूं का निर्यात कर रही है. लेकिन आगे हो सकता है कि भारत को गेहूं का आयात ज्यादा भाव पर करना पड़ जाए. भविष्य में दाम बढ़ने के अनुमान से बड़े कारोबारी खेत से ही गेहूं खरीदकर स्टॉक कर रहे हैं. किसानों को भी ज्यादा भाव मिल जा रहा है. ऐसे में देश में गेहूं की सप्लाई कम है और आगे और कम हो सकती है. वहीं अगर कहीं कोविड की चौथी लहर फिर आ गई तो गरीबों को बांटने के लिए ज्यादा स्टॉक की वजह से दबाव और बढ़ेगा.
FY23: 10-15 मिलियन मीट्रिक टन हो सकता है निर्यात
2022-23 में भारत से गेहूं का निर्यात 10-15 मिलियन मीट्रिक टन के दायरे में हो सकता है. भारतीय व्यापारियों ने अप्रैल से जुलाई की अवधि के दौरान पहले ही 3-3.5 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं निर्यात का अनुबंध कर लिया है. बंदरगाहों से निकटता और आसान आवाजाही की वजह से गेहूं की अधिकतम मात्रा गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भेजी जाएगी.
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ओपेन मार्केट में किसानों को मिल रहा है ज्यादा भाव
किसानों को ज्यादा भाव मिलने से खुले बाजार में गेहूं की मांग बढ़ी है. किसान सरकारी एजेंसियों के बजाए निजी कारोबारियों को गेहूं की बिक्री करने को तरजीह दे रहे हैं. ऐसी रिपोर्ट्स भी आ रही हैं कि निजी कंपनियों के द्वारा निर्यात के लिए एग्रेसिव तरीके से गेहूं की खरीदारी की जा रही है, जिससे सरकारी खरीद में गिरावट देखने को मिली है. सरकारी गोदामो में गेहूं का स्टॉक बहुत कम बचा है.
वहीं अधिक तापमान के चलते यील्ड पर भी असर हुआ है. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में सामान्य से अधिक तापमान और लंबे समय तक शुष्क रहने की वजह से गेहूं की फसल की यील्ड पर असर पड़ा है. बृजराज सिंह के मुताबिक फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन पूर्व अनुमान 111.3 मिलियन मीट्रिक टन की तुलना में घटकर 95- 100 मिलियन मीट्रिक टन रहेगा. जो साल 2021-22 के 109.5 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले काफी कम है.
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सरकारी खरीद में आई कमी
17 अप्रैल 2022 तक गेहूं की खरीद 69.24 लाख मीट्रिक टन तक हो चुकी है जो कि सालाना आधार पर 39 फीसदी कम है, जबकि एक साल पहले समान अवधि में 102 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी. राज्यवार आंकड़ों को देखें तो मध्यप्रदेश में 8.99 लाख मीट्रिक टन, पंजाब में 32.17 लाख मीट्रिक टन, हरियाणा में 27.76 लाख मीट्रिक टन और उत्तर प्रदेश में 0.30 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है.
1 अप्रैल 2022 तक भारत सरकार के पास गेहूं का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक सालाना आधार पर 30.4 फीसदी और मासिक आधार पर 19 फीसदी कम रहकर 18.99 मिलियन मीट्रिक टन दर्ज किया गया था. यह हमारे 20.5 मिलियन मीट्रिक टन के अनुमान से भी काफी कम है.