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गेहूं की कीमतों में गिरावट, लेकिन साल के अंत तक आएगी जबरदस्त तेजी

एक्सपोर्ट बैन के दो हफ्ते बाद अधिकतर मंडियों में गेहूं का भाव कम हो गया है, आपको बताते है इस समय किन मंडियों में एमएसपी से अधिक और कहाँ कम रेट पर बिक रहा है .  इस साल के आखिर तक क्यों है भाव बढ़ने की संभावना? एक्सपोर्ट पर रोक के बाद घरेलू बाजार में गेहूं के भाव पर इसका सीधा असर दिख रहा है. इस आदेश के दो हफ्ते बाद ही ज्यादातर बाजारों में भाव में कमी दिखाई दे रही है. परंतु  कुछ मंडियों में अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुकाबले भाव अधिक है. छत्तीसगढ़ के कोरबा और महाराष्ट्र के अहमदनगर मंडी में अब भी गेहूं का भाव (Wheat Price) 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा हुआ है.

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जबकि यूपी के गाजियाबाद और एटा में 2140 रुपये तक का रेट है. इस वर्ष के लिए सरकार ने गेहूं का एमएसपी 2015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है. कमोडिटी ट्रेडिंग के लोगों का कहना है कि एक्सपोर्ट बंद होने से कुछ समय बाद भाव में करेक्शन किया जा सकता है, लेकिन इस साल खुले बाजार में रेट एमएसपी के आसपास और उससे कुछ ऊपर ही रहने वाला है. कुछ लोगों का बताना है कि भाव 2500 से 3000 रुपये तक जा सकता है.

गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गेहूं का औसत भाव एमएसपी के आसपास पहुँच चुका है.  महराजगंज की आनंदनगर मंडी में 29 मई को गेहूं का भाव 2015 रुपये प्रति क्विंटल तक रहा है. जबकि बांदा में न्यूनतम दाम एमएसपी से कम होकर सिर्फ 1970 रुपये प्रति क्विंटल रह चुका है. जबकि अधिकतम दाम 2050 और औसत भाव 2025 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. गौतम बुद्ध नगर की दादरी मंडी का न्यूनतम दाम 2015, अधिकतम 2120 और ओसतन भाव 2080 रुपये प्रति क्विंटल तक रहा है.

गेहूं के भाव में क्यों है तेजी की संभावना ?

रूस और यूक्रेन दुनिया के बड़े गेहूं उत्पादक देश हैं. गेहूं के उत्पादन में इन देशों की हिस्सेदारी 25% के करीब है. इन दोनों के युद्ध के चलते कई देशों में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हो चुकी है. इसलिए भारत को इसका नया मार्केट मिला. यहां से रिकॉर्ड गेहूं एक्सपोर्ट  किया गया. साल 2020-21 में 568 मिलियन डॉलर  गेहूं एक्सपोर्ट हुआ था, वहीं 2021-22 में यह बढ़कर 2119 मिलियन डॉलर हो गया है.

इस बीच हीट वेब के कारण भारत में गेहूं के उत्पादन में करीब 40 लाख मिट्रिक टन की कमी होने  का अनुमान लगाया गया. यही नहीं आस्ट्रेलिया और यूरोपीयन संघ में भी गेहूं उत्पादन में कमी को देखा गया है. इसे देखते हुए गेहूं का दाम भारत में एमएसपी से 800 रुपये तक बढ़ गए. इसकी महंगाई का असर आम आदमी पर दिखेने को मिला है, उससे पहले ही सरकार ने 13 मई को एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा दी. हालांकि एक्सपोर्ट बैन के बावजूद किसानों को लगता है कि अंतरराष्ट्रीय हालातों की वजह से उनका गेहूं महंगा बिक सकता है. इसलिए वो इसके भंडारण पर जोर दे रहे हैं.

कितना रहेगा दाम और क्यों?

ओरिगो ई-मंडी में कमोडिटी रिसर्चर तरुण सत्संगी के अनुसार लंबी अवधि यानी नई सप्लाई के पहले तक गेहूं का रेट 3,000 रुपये प्रति क्विंटल को पार भी  कर सकता है. क्योंकि प्रमुख गेहूं उत्पादक देश यूरोपीय यूनियन, आस्ट्रेलिया और यूक्रेन में उत्पादन कम रहने की वजह से विदेशी बाजार में गेहूं की सप्लाई की बहुत किल्लत रहेगी. इसका असर भारत पर भी दिखने को मिलेगा.

अब भी मिल रहा है अच्छा दाम मंडियों में

छत्तीसगढ़ के कोरबा स्थित कटघोरा मंडी में गेहूं का न्यूनतम दाम 2200 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है. जबकि अधिकतम दाम 2700 और औसत रेट 2477 रुपये प्रति क्विंटल रहा है.
महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शेवगांव में 29 मई को गेहूं का न्यूनतम रेट 2189 रुपये प्रति क्विंटल जबकि औसत दाम 2500 रुपये प्रति क्विंटल रहा है.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 29 मई को गेहूं का न्यूनतम दाम 2130, प्रति क्विंटल अधिकतम 2150 प्रति क्विंटल और औसत दाम 2140 रुपये प्रति क्विंटल रहा है.
उत्तर प्रदेश की कासगंज मंडी में न्यूनतम भाव 2100 रुपये, प्रति क्विंटल व अधिकतम दाम 2170 और औसत भाव 2140 रुपये प्रति क्विंटल रहा.

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