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गर्मी के दिनों में मूंगफली की खेती से होती है लाखो की कमाई, देखिए खेती करने का सही तरीका

गर्मी के दिनों में मूंगफली की खेती से होती है लाखो की कमाई, देखिए खेती करने का सही तरीका मूंगफली के दाने और उनसे निकाला गया तेल दोनों की ही बाजार में अच्छी मांग रहती है। मूंगफली वानस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अंडों से 2.5 गुना एवं फलों से 8 गुना अधिक होती है। मूंगफली के बीज में 45 प्रतिशत तेल तथा 26 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा पायी जाती है। जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायी होते हैं। मूंगफली को भारतीय काजू भी कहा जाता है। सर्दियों में लोग इसे सेक कर खाना पसंद करते हैं। वहीं व्रत या उपवास में भी इसे खाया जाता है। भारत में मूंगफली के उत्पादन का लगभग 75 से 85 प्रतिशत हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है।

कैसे करे भूमि की तैयारी 

आपकी जानकारी के लिए बता दे की मूंगफली की बुवाई करने से पहले खेत की अच्छी तरह से दो से तीन जुताई कल्टीवेटर से करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें। अब बुवाई के लिए कम अवधि में पकने वाली गुच्छेदार प्रजातियों का चयन करें जिसमें डीएच 86, आर-9251, आर 8808 आदि किस्मों का चयन किया जा सकता है। ध्यान रखें बीज का चयन रोग रहित उगाई गई फसल से करें। ग्रीष्मकालीन मूंगफली के लिए 95-100 किग्रा की दर से बीज दर प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।

सिचाई करने का सही समय 

हमेशा इस बात ध्यान रखे की मूंगफली की बुआई पलेवा करके ही करे इससे अंकुरण बहुत अच्छा व पूर्ण रूप से होता है। इसके बाद पहली सिंचाई 20 दिन बाद करें। दूसरी सिंचाई 30-35 दिन पर तीसरी सिंचाई 50-55 दिन पर करें। रबी या जायद मौसम की फसल में 10 से 15 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार फसल की सिंचाई की जा सकती है। जहां पानी की कमी हो वहां पर फूल आने, नस्से बैठते समय, फूल बनते समय तथा दाना बनते समय फसल की सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। ध्यान रखें जहां पानी की कमी के कारण फसलों की पैदावार में भारी कमी आती है। वहीं अधिक पानी अधिक देर तक खेत में जमा रहने से भी फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है। इसलिए खेत में जहां पर अधिक पानी एकत्रित होने की संभावना हो, वहां जल निकासी का उचित प्रबंध करें।

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कितना होता है प्रति हेक्टेयर उत्पादन 

आपको बता दे की मूंगफली की खेती की उन्नत तकनीकों को अपनाकर मूंगफली की खरीफ की फसल से 18 से 25 क्विंटल और रबी या जायद की फसल से 20 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। अब बात करें इसकी विक्रय से होने वाले लाभ की तो वर्तमान में देश की विभिन्न मंडियों में मूंगफली का न्यूनतम भाव 3550 रुपए तथा अधिकतम भाव 6512 रुपए प्रति क्विंटल तक चल रहा है। बता दें कि मंडियों में मूंगफली का भाव उसमें नमी की मात्रा, दाने का आकार और तेल की मात्रा के आधार पर ही उसकी कीमत मिलती है।

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