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फूलो की खेती महीने के कमाते है लाख रूपये आप भी ले सकते है लाभ

वकालत छोड़ की फूलो की खेती;  फूलों की खेती वर्तमान दौर में किसानों के लिए फायदे का सौदा है बड़े पैमाने पर धार्मिक कार्यक्रमों के अलावा साज-सज्जा के कामों में भी फूलों का उपयोग होता है आए दिन होने वाले बड़े आयोजनों में फूलों से की जाने वाली डेकोरेशन में विदेशी पुल के साथ-साथ देश में फूफा जी ने वाले आकर्षक रंग बिरंगे फूलों की भारी डिमांड होती है आर्थिक संभावनाओं को पहचानते हुए झारखंड के देवघर में रहने वाले किसान वकील प्रसाद ने फूलों की खेती में कामयाबी के झंडे गाड़े हैं। फूलों के कारोबार पर आधारित वनइंडिया हिंदी की इस सक्सेस स्टोरी में पढ़िए देवघर के फ्लावर फार्मर वकील प्रसाद ने कैसे फूलों की मार्केट में संभावनाएं पहचानीं और आज लाखों रुपए कमा रहे हैं।

किसान वकील को भारत सरकार की स्कीम से लाभ केंद्र सरकार की योजना सॉयल हेल्थ कार्ड से लाभान्वित हुए देवघर के किसान वकील प्रसाद यादव बताते हैं किमिट्टी जांच के पहले डीएपी और यूरिया डालकर फसल उगाते थे। धीरे-धीरे फसल की पैदावार घटने लगती थी। जांच के बाद उर्वरक डालने की मात्रा और तरीका दोनों बदला। जांच के बाद पता चला कि मिट्टी में कौन सा खाद कितनी मात्रा में देना है। मिट्टी जांच की रिपोर्ट के हिसाब से उर्वरक का इस्तेमाल करने पर पैदावार बढ़ी। फसल को नुकसान भी कम हुआ। फर्टिलाइजर और कंपोस्ट की मात्रा भी जरूरत के हिसाब से डाली जाती है। खेती की लागत में कमी आती है।

फूलों की खेती से आमदनी वकील प्रसाद बताते हैं कि फूलों की खेती लगातार कई वर्षों तक की जा सकती है। जरबेरा की खेती अधिकांश ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस में की जाती है। उन्होंने बताया कि कुछ फूल गर्मियों में उगाए जाते हैं जबकि रबी के सीजन में भी कई फूलों की खेती होती है। ऐसे में देवघर के किसानों को फूलों की खेती कर अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि फूलों की खेती करने में विशेष आर्थिक निवेश की जरूरत नहीं पड़ती है फूलों में लगने वाली बीमारियों के बारे में भी ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती। अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने कहा कि बुवाई के बाद फूलों की नियमित देखभाल करते रहें और पौधों की सिंचाई करते रहने पर अच्छा उत्पादन हासिल किया जा सकता है। नियमित उत्पादन आय का अच्छा स्रोत बन जाता है।

पांच वर्षों से फूलों की खेती कर रहे हैं वकील बता दें कि फूलों की खेती को वैज्ञानिक भाषा में फ्लोरीकल्चर कहा जाता है। वकील प्रसाद पिछले पांच साल से फूलों की खेती कर रहे हैं। कृषि जागरण डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने शुरुआत में कोलकाता से बीज मंगाए। देवघर के किसानों ने सोचा कि स्थानीय स्तर पर फूल उगाए जाएं तो अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं। इसके बाद किसानों ने बड़े स्तर पर देवघर में फूलों की खेती की योजना बनाई। सरकारी अधिकारियों ने भी फूलों की खेती को प्रोत्साहित किया। अब किसान अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।

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