मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FOI) ने अपनी बिक्री की रफ्तार को धीमा कर दिया है, लेकिन इससे ट्रेंड में बदलाव का कोई संकेत नहीं मिलता है
डॉलर के लगातार मजबूत होने और अमेरिका में मंदी को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच विदेशी निवेशक (FIIs) ने भारतीय इक्विटी बाजार को लेकर अब भी सतर्क हैं। विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक 7,400 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे हैं। इससे पहले जून में इक्विटी से 50, 203 करोड़ रुपए की कमाई की है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, “फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FOI) ने अपनी बिक्री की रफ्तार को धीमा कर दिया है, लेकिन इससे ट्रेंड में बदलाव का कोई संकेत नहीं मिलता है।”
पिछले नौ महीनों में भारतीय इक्विटी बाजार से विदेशी फंड की काफी निकासी हुई है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टर्स स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा, “विदेशी मुद्रा बाजार में अनिश्चितता और डॉलर की निरंतर मजबूती को देखते हुए, FPI के भारतीय बाजार में आक्रामक खरीदार बनने की उम्मीद नहीं है और उच्च स्तर पर वे फिर से विक्रेता बन सकते हैं।”
कोटक सिक्योरिटीज के हेड-इक्विटी रिसर्च (रिटेल) श्रीकांत चौहान ने कहा कि लगातार बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिमों, बढ़ती मुद्रास्फीति और केंद्रीय बैंकों की तरफ से मौद्रिक नीति के सख्त होने के कारण उभरते बाजारों में FPI फ्लो अस्थिर रहेगा।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, FPI ने 1-15 जुलाई के दौरान भारतीय इक्विटी से 7,432 करोड़ रुपए का नेट अमाउंट निकाला है। श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले हफ्ते FPI की तरफ से छिटपुट नेट फ्लो हुआ है।
FPI ने जून में इक्विटी से 50,203 करोड़ रुपए निकाले। मार्च 2020 के बाद से यह सबसे ज्यादा नेट आउटफ्लो था। तब उन्होंने 61,973 करोड़ रुपए निकाले थे।
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