Farming Of Watermelon :- टमाटर की खेती को पिछे छोड़ने आई तरबूज की जबरदस्त खेती से मालामाल होंगे किसान तरबूज ग्रीष्म ऋतु का सबसे लोकप्रिय फल माना जाता है। गर्मियां शुरू होते ही बाजार में तरबूज की मांग होने लगी है। इसके रस में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए और सी और कार्बोहाइड्रेट के साथ 92% पानी होता है। जोकि स्वस्थ रहने के लिए बहुत सारे लाभ होते हैं। जानिए तरबूज की खेती की सम्पूर्ण जानकारी।
पूरे देश में रबी फसल की कटाई का काम चल रहा है। मार्च तक कटाई का काम पूरा कर लिया जाएगा और इसके बाद खेत खाली हो जाएंगे। ऐसे में किसान तरबूज की खेती करकेे अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं। तरबूज की खेती की खास बात ये हैं इसे कम पानी, कम खाद और कम लागत में उगाया जा सकता है। वहीं बाजार में इसकी मांग होने से इसके भाव अच्छे मिलते हैं।
- सुगर बेबी
- दुर्गापुर केसरउन्नत
- अर्को मानिक
- दुर्गापुर मीठा
- काशी पीताम्बर
- पूसा वेदना
- आशायी यामातो
- डब्ल्यू 19
- न्यू हैम्पशायर मिडगट
खेत तैयार करते समय 15-20 टन सादा गोबर की खाद को प्रति हैक्टर के हिसाब से खेत में डालें। खाद डालने के बाद खेत में एक बाफ जमाई करें। इसके बाद खेत में नमी के लिए पलेवा दें। इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की 2-3 आडी-तिरछी गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा रहने के लिए पाटा करके जमीन को समतल करे। माई के समय फास्फोरस, यूरिया, कार्टब, पोटास की उचित मात्रा में फील्ड में 5 से 6 फीट की दूरी रखते हुए नाली के लंबे कार्यों को तैयार करें। इस तरह से तरबूज की खेती के लिए खेत तैयार हो जाएंगे।
तरबूज की बुवाई का समय
जलवायु और परिस्थितियों के अनुसार पहाड़ी, मैदानी और नदियों वाले क्षेत्र में तरबूज की खेती अलग-अलग महीने में की जाती है। जहां उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में तरबूज की बुवाई फरवरी और मार्च में की जाती है। इसके अलावा नदियों के किनारों पर बुवाई नवम्बर से मार्च तक करनी चाहिए।
Farming Of Watermelon टमाटर की खेती को पिछे छोड़ने आई तरबूज की जबरदस्त खेती से मालामाल होंगे किसान
तरबूज की खेती में बुवाई के करीब 10-15 दिन के बाद सिंचाई की जानी चाहिए। वहीं यदि आप इसकी खेती नदियों के किनारों पर कर रहे है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। क्योंकि यहां की मिट्टी में पहले से ही नमी बनी हुई रहती है।
तरबूज की तुड़ाई
तरबूज के फलों को बुवाई से 3 या साढ़े तीन महीने के बाद तोडऩा शुरू कर दिया जाता है। फलों को यदि दूर भेजना हो तो पहले ही तोड़ लेना चाहिए। प्रत्येक जाति के हिसाब से फलों के आकार व रंग पर निर्भर करता है कि फल अब पक हो चुका है। आमतौर से फलों को दबाकर भी देख सकते हैं कि अभी पका है या कच्चा। फलों को डंठल से अलग करने के लिए तेज चाकू इस्तेमाल किया जा सकता है।
तरबूज की खेती पर आने वाला खर्च
- 5000 रुपए खेत तैयारी, बोवनी और, खाद
- 1500 रुपए पांच किलो बीज
- 4000 रु. कीटनाशक
- 6000 तुड़ाई पर 30 मजदूरों की जरूरत
- 16500 रु. कुल खर्च
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बाजार में तरबूज के बीज 10000 रुपए प्रति क्विंटल बिकता है। तो 35 क्विंटल बीज उत्पादन पर 350000 रुपए और इसमें से खर्चा- 16500 रुपए हटा दें तो भी आप इससे 3,33500 रुपए का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं।
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