education loan from government : बैंक से लोन लेने के लिए अमूमन आपको सिक्योरिटी के तौर पर कोई संपत्ति गिरवी रखनी पड़ती है. इनमें प्रॉपर्टी, फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर, बॉन्ड इत्यादि शामिल हैं. बैंक ऐसा इसलिए करते हैं ताकि डिफॉल्ट करने पर गिरवी रखी गई सिक्योरिटी को बेचकर अपना कर्ज वसूल सकें. लोन के लिए गिरवी रखे गए एसेट/सिक्योरिटी को ‘कोलेट्रल’ कहते हैं.
हालांकि, आप बिना कोई चीज गिरवी रखे भी एजुकेशन लोन पा सकते हैं. बैंक इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) की मॉडल एजुकेशन लोन स्कीम के तहत एजुकेशन लोन देते हैं. क्रेडिट गारंटी फंड फॉर एजुकेशन लोन (CGFEL) स्कीम के तहत इस लोन पर गारंटी दी जाती है. स्कीम के अंतर्गत आप बिना गारंटी के 7.5 लाख रुपये तक का लोन पा सकते हैं.
CGFEL स्कीम के तहत शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक से इस सीमा के अंदर लोन का आवेदन करने पर किसी मार्जिन की जरूरत नहीं होती है. इसका मतलब यह है कि अगर कर्ज 7.5 लाख रुपये तक है तो बैंक लोन की 100 फीसदी रकम दे सकते हैं.
स्कीम के अंतर्गत आप भारत में पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपये तक लोन ले सकते हैं. जबकि विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपये तक का लोन लिया जा सकता है. लेकिन, आप 7.5 लाख रुपये से ज्यादा का लोन लेते हैं तो बैंक आपसे लोन की रकम पर गारंटी मांग सकते हैं. बैंक आपसे मार्जिन मनी जमा करने के अलावा गारंटर लाने के लिए भी कह सकते हैं.
पैसा बाजार डॉट कॉम के डायरेक्टर व हेड (सिक्योर्ड लोन) गौरव अग्रवाल ने कहा कि बैंक अमूमन सिक्योरिटी के तौर पर कोई चीज गिरवी रखने के लिए कहते हैं. साथ ही थर्ड पार्टी गारंटी की भी जरूरत होती है. यह लोन की रकम पर निर्भर करता है.
उन्होंने कहा, “CGFEL स्कीम के तहत 7.5 लाख रुपये तक के लोन पर न तो कोई एसेट गिरवी रखने की जरूरत होती है. न ही थर्ड पार्टी गारंटी की आवश्यकता पड़ती है.”
क्या सभी बैंक गारंटी मुक्त एजुकेशन लोन का फायदा देते हैं?
आईबीए ने प्रतिभावान छात्रों को आर्थिक रूप से मदद देने के लिए ‘मॉडल एजुकेशन लोन स्कीम’ बनाई है. यह ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें भारत या विदेश में उच्च शिक्षा के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है.
आईबीए ने एजुकेशन लोन स्कीम के लिए जो दिशानिर्देश बनाए हैं, अमूमन सभी बैंक उनका पालन करते हैं. हालांकि, बैंक स्कीम के तहत अपने नियमों के अनुसार लोन दे सकते हैं.
अग्रवाल ने कहा कि कुछ बैंक जरूर उन छात्रों को कोलेट्रल-फ्री लोन का विकल्प दे सकते हैं जो टॉप संस्थानों में पढ़ना चाहते हैं. हालांकि, यह बैंक पर पूरी तरह निर्भर करता है कि वह थर्ड पार्टी गारंटी या किसी एसेट को गिरवी रखने की शर्त को रखता है कि नहीं.
अग्रवाल बताते हैं कि मसलन 4 लाख रुपये तक के लोन पर बैंक केवल ज्वाइंट बॉरोअर के तौर पर माता-पिता/अभिभावक को रखने की शर्त लगा सकता है. वहीं, कई बैंक 4 लाख से 7.5 लाख रुपये तक के कर्ज के लिए थर्ड पार्टी गारंटी मांग सकते हैं. ज्वाइंट बॉरोअर के तौर पर माता-पिता/अभिभावक के अलावा इसे शर्त में रखा जा सकता है.
हालांकि, 7.5 लाख रुपये से ज्यादा की रकम होने पर कोलेट्रल सिक्योरिटी देनी होगी. इसका मतलब है कि कोई चीज गिरवी रखने की जरूरत पड़ेगी. इसमें यह भी अनुमान लगाया जाता है कि भविष्य में छात्र किस्तों का भुगतान करने के लिए कितना कमाएगा.
क्या आप 7.5 लाख रुपये से ज्यादा का कोलेट्रल-फ्री लोन पा सकते हैं?
अगर आपकी 7.5 लाख रुपये से ज्यादा या यहां तक कि 10 लाख रुपये तक एजुकेशन लोन की जरूरत है तो कोलेट्रल-फ्री लोन पाने के लिए आप दूसरे कर्जदाताओं का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं.
लोन पर ब्याज की दर ज्यादा हो सकती है.”
क्या है एजुकेशन लोन के आवेदन की प्रक्रिया?
कोलेट्रल-फ्री एजुकेशन लोन के लिए आवेदन करने से पहले यह समझ लेना चाहिए कि इसे मुख्य रूप से छात्र लेते हैं. इसमें माता-पिता, जीवनसाथी या रिश्तेदार को-एप्लिकेंट हो सकते हैं.
जब आप कोलेट्रल-फ्री लोन के लिए आवदेन करते हैं तो बैंक अमूमन को-एप्लिकेंट का विवरण भी मांगते हैं. यही नहीं, बैंक एजुकेशन लोन को आवंटित करने से पहले को-एप्लिकेंट की सैलरी स्लिप या इनकम टैक्स रिटर्न भी मांग सकते हैं.
बैंक कोर्स के फीस स्ट्रक्चर के साथ कॉलेज/यूनिवर्सिटी का एडमिशन लेटर देने के लिए कहते हैं. इसके अलावा दसवीं, बारहवीं और ग्रेजुएशन की मार्कशीट जैसे दस्तावेज भी मांगते हैं.
किन बातों का रखें ध्यान?
-एजुकेशन लोन स्कीम के तहत कर्ज पाने वालों को पढ़ाई पूरी करने के बाद रिपेमेंट के लिए एक साल की मोरैटोरियम अवधि भी मिलती है. इसमें बैंक पढ़ाई पूरी करने के बाद एक साल तक लोन लौटाने में रियायत देते हैं. कुछ केवल ब्याज का भुगतान करने की शर्त रखते हैं.
-शेट्टी ने कहा कि आयकर कानून की धारा सेक्शन 80ई के तहत एजुकेशन लोन पर टैक्स डिडक्शन का फायदा मिलता है. पर, इसमें शर्त यह है कि आपने लोन उस वित्तीय संस्थान से लिया हो जो बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के तहत काम करते हों.
-एजुकेशन लोन को वापस करने के लिए अमूमन 15 साल मिलते हैं. हालांकि, इसे पहले भी वापस किया जा सकता है. टैक्स सेविंग डिडक्शन का फायदा केवल 8 साल के लिए रहता है.