Chanakya Niti
डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, आचार्य का मानना था कि चरित्र व्यक्ति का वास्तविक धन होता है. अगर ये न रहे, तो इंसान पर कुछ नहीं रहता. इसलिए अपने चरित्र की रक्षा उस तरह करें जैसे एक व्यापारी धन की रक्षा करता है. चरित्रहीन व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है, वह एक झूठ बोलने लगता है, धन की बर्बादी करता है और धीरे धीरे खुद भी बर्बाद हो जाता है. आचार्य का कहना था कि यदि जीवन की वास्तविकता को समझना है तो योगी बनो, भोगी नहीं. भोग विलास की आदत आपके अंदर लालच को जन्म देती है और आपको जीवन की सच्चाई से दूर करती है. जबकि योगी व्यक्ति सब खोकर भी आनंद पूर्वक जीवन बिताता है, अनुशासन से जीता है, धैर्य और संयम से अपने कार्यों को पूरा करता है और खूब नाम और यश कमाकर भी उसे खुद पर हावी नहीं होने देता. ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व बहुत महान और विशाल हो जाता है.
1. स्त्री को लेकर आचार्य का कहना था कि स्त्री की खूबसूरती से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण एक स्त्री के गुण होते हैं, क्योंकि वो सब कुछ बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है. इसलिए विवाह से पहले हमेशा उसके गुणों पर ध्यान दें और विवाह तभी करें, जब वो स्वेच्छा से इसके लिए राजी हो.
2. चाणक्य का कहना है कि अगर कोई स्त्री आपसे बहुत प्रेम करती है, परवाह करती हो तो उस स्त्री का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए. भविष्य में अगर वो स्त्री झगड़े भी करे तो भी उसे नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि उसे हमेशा आपकी फिक्र रहेगी
3. जिस स्त्री से विवाह करने जा रहे हैं तो एक बार देख लें कि वो स्त्री धर्म कर्म में आस्था रखती है या नहीं. ऐसी स्त्री कभी आपका अहित नहीं करेगी और आपके परिवार के लिए अच्छी साबित होगी.
चाणक्य नीति के अनुसार चरित्रहीन औरत की पहचान
इनकी चरित्र पर कभी भी विश्वास नहीं किया जा सकता. जिस महिला की पैर पिछला भाग अत्यधिक मोटा होता है ऐसी महिलाएं घर के लिए अशुभ माना जाता है. इसके उल्टा अगर पैर की पिछले भाग बहुत ज्यादा पतला या सुखा हो, ऐसी महिलाएं अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के पीड़ा का सामना करती
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