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बिजनेस: पिछले 7 साल में भारत में कारोबार के दौरान रैपीडो $20 करोड़ के बैंक बैलेंस और $83 करोड़ के वैल्यूएशन के साथ यूनिकॉर्न बनने की तरफ बढ़ रही है.

नई दिल्ली
Unicorn Rapido: देश के बड़े शहरों में कहीं आने जाने के लिए आप भले ही ओला और उबर की टैक्सी सर्विस ले रहे हों, देश के छोटे शहरों में पिछले कुछ सालों में रैपिडो ने बाइक की सेवा देकर लोगों की जिंदगी आसान बनाने में काफी मदद की है. रैपिडो के सह संस्थापक और सीईओ अरविंद सांका ने हाल में ही कहा था, “एक अच्छी चीज यह है कि हम मरने नहीं जा रहे हैं.”

 

साल 2015 से 17 के बीच भारत में सबसे कम तीन दर्जन स्टार्टअप ने बाइक टैक्सी सेवा शुरू की थी. रैपिडो का कारोबार भी इसी समय शुरू हुआ था. पिछले 7 साल में भारत में कारोबार के दौरान रैपीडो $20 करोड़ के बैंक बैलेंस और $83 करोड़ के वैल्यूएशन के साथ यूनिकॉर्न बनने की तरफ बढ़ रही है.

रैपिडो की कारोबारी यात्रा में कई बार ऐसे मौके आए जब ऐसा लगा कि अब कंपनी सरवाइव नहीं कर पाएगी, लेकिन इसके बाद भी रैपिडो ने मजबूती से खुद को खड़ा किया.

दो बड़ी चुनौती से सामना

फंडिंग संबंधी दिक्कतों के बाद भी बाइक टैक्सी सेगमेंट के सामने दो बड़ी चुनौतियां आई. कई राज्यों में ट्रांसपोर्ट रेगुलेटरी अथॉरिटी की वजह से बाइक टैक्सी को समस्या आ रही है. बाइक टैक्सी सेवा वास्तव में सवालों के दायरे में आ गई है. दूसरी चुनौती ओला और उबर के रूप में विशालकाय है. पूंजी, कामकाज का स्केल और मैन पावर के मामले में दिग्गज ओला और उबर ने भी बाइक टैक्सी सर्विस कई शहरों में शुरू कर दिया है. इसके बाद भी रैपिडो इन चुनौतियों को पार कर अपना कारोबार बढ़ा रही है.


ब्रांडिंग पर फोकस नहीं

रैपिडो के संस्थापकों को पता था कि उनके पास मौजूद छोटी पूंजी का उपयोग ब्रांडिंग करने या यूजर को एक्वायर करने पर नहीं खर्च करना है. वह उबर और ओला से मुकाबला नहीं कर सकते. इसके बाद भी रैपिडो के लिए दो चीजों ने शानदार काम किया है.

रैपिडो के काम आई दो चीज

उबर और ओला का कोर बिजनेस कैब सर्विस है. इनका टिकट साइज का औसत ₹400 है. भारत में लोगों की औसत आमदनी कम होने की वजह से हर व्यक्ति कैब अफोर्ड नहीं कर सकता. इस वजह से रैपिडो ने औसत टिकट साइज ₹50 रखकर लोगों के लिए मोबिलिटी उपलब्ध कराने की पहल की है. ओला और उबर के पास बाइक टैक्सी पर फोकस बढ़ाने के विकल्प सीमित हैं. इसकी वजह यह है कि औसत टिकट साइज कम होने की वजह से वे इस बिजनेस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे सकती है. इस वजह से ओला और उबर कैब को प्राथमिकता देती हैं जबकि बाइक टैक्सी पर उनका ध्यान कम है.

लोगों में बढ़ाया भरोसा
भारत में साल 2015-16 में बाइक टैक्सी का कांसेप्ट नया था. लोग किसी अनजान व्यक्ति के पीछे बैठना पसंद नहीं करते थे. शुरुआत में रैपिडो की चुनौती यह थी कि वह यात्रियों को किसी अनजान व्यक्ति के पीछे बैठने को सुरक्षित महसूस कराएं. इसके साथ ही सुरक्षा संबंधी चिंताओं से जूझ रहे यात्रियों के लिए रैपिडो ने इंश्योरेंस की सुविधा शुरू की. हैदराबाद, बेंगलुरु और मैसूर में मई 2018 में 9000 डेली राइड का आंकड़ा छू लिया. अब रेपिडो देश के 50 शहरों में कारोबार कर रही है.

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