व्यापारियों और दलालों की मिलीभगत से किसानों की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। सब्जियों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। इससे खेत में ही सब्जियों को बर्बाद कर देना मजबूरी बन गया है।
भिंडी किसानों की परेशानी बढ़ गई है। व्यापारी खेतों में उनकी भिंडी दो रुपये किलो भी लेने को तैयार नहीं हैं, जबकि थोक मंडी में इसे 10 रुपये किलो बेच दे रहे हैं। खुदरा बाजार में यही 16 रुपये किलो बिक रही है। लागत भी ऊपर नहीं होने से मायूस किसान हरे-भरे भिंडी के खेत को जुतवा दे रहे हैं।
बलहियां के किसान संजय कुमार सिंह, मधौल के किसान नंदलाल सहनी, कैलाश सहनी, बालेश्वर प्रसाद राजकिशोर ने बताया कि भिंडी की खेती करने में किसानों को 50 हजार से एक लाख रुपये तक खर्च हो गए। इस बार शुरू से ही परेशानी रही। महंगा बीज लेकर जब भिंडी लगायी तो उसके दूसरे दिन ही बारिश अधिक होने से खेत डूब गये, जिसके कारण फिर बीज डाला। आज जब पैसे कमाने का समय आया तो यह दो रुपये किलो भी नहीं बिक रही है। ऐसे में निराश होकर किसानों ने खेत की तरफ जाना ही छोड़ दिया है।
हरे-भरे खेत को जुतवा दिया ट्रैक्टर से
बुधवार को कुढ़नी प्रखंड के अमरख गांव में मायूस किसान अशोक साह ने हरे-भरे भिंडी के खेत को ट्रैक्टर से जुतवा दिया। इसी तरह अन्य किसान भी हताश हैं। कइयों ने खेत की तरफ जाना ही छोड़ दिया है। गांव के किसानों ने बताया कि पिछले पांच साल से पंचायत के तीन गांव अमरख, बलहियां व मधौल में सौ से अधिक किसान करीब 50 एकड़ में भिंडी की खेती करते आ रहे हैं।
प्रतिदिन इस पंचायत से व्यापारी 50 क्विंटल से अधिक भिंडी लेकर जा रहे थे। खेती से अच्छा मुनाफा देख इस वर्ष भी काफी उत्साह के साथ भिंडी की खेती की, लेकिन किसानों को भारी मायूसी हाथ लगी है। एक तो उत्पादन अधिक हो गया है, दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि बाजार में पहले की तरह भिंडी बिक ही नहीं रही है। ऐसे में भिंडी खेत में ही पड़ी रह जा रही है।
जिले में होती है भिंडी की सर्वाधिक खेती :
जिले में बड़े पैमाने पर भिंडी की खेती कुढ़नी, सकरा, मुरौल, मुशहरी, बोचहां, कटरा, गायघाट, कांटी, मीनापुर, औराई, मड़वन में होती है। कटरा के बकुची गांव के किसान श्याम किशोर महतो ने बताया कि नवादा, पतारी, अख्तियारपुर, अलदामा समेत दर्जनभर गांव के दो सौ से अधिक किसान भिंडी की खेती कर रखे हैं। इसबार हमारे यहां भिंडी का कम खरीदार आ रहा है। किसान खेतों में तुड़ाई बंद कर दिये हैं। जीवन में इस तरह सब्जी की खेती में नुकसान कभी नहीं देखा।