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animal husbandry information :दुधारू पशुओं को खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान 1

animal husbandry information पशुपालको के लिए जरूरी होता है.भारत कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकतर जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है. भारत के गांव में लोग कृषि करना और दुधारू पशुओं को पालना अधिक अच्छा समझते हैं. भारत की अधिकतम जनसंख्या पशुपालन और खेती पर ही निर्भर रहती है.

दुधारू पशु का चयन कोई सरल कार्य नहीं है। एक अच्छे पशु निर्णायक में कई महत्वपूर्ण गुणों का समावेश आवश्यक होता है।

animal husbandry information- इन बातों का रखें ध्यान

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दुधारू गाय – भैंस को खरीदते समय नस्ल के अनुसार उसके वाह्य आकार वंशावली दूध देने की क्षमता आदि पर अधिक जोर देना चाहिए। पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय में दुधारू पशुओं को दूध देने की क्षमता का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसलिए गाय – भैंस की खरीदारी करते समय कुछ विशेष जानकारी होना आवश्यक हो जाता है। दुधारू पशु की खरीद में बहुत बडी पूंजी खर्च होती है और इसके अच्छे गुणों के उपर ही डेयरी व्यवसाय का भविष्य निर्भर करता है।

क्योंकि अच्छी नस्ल और गुणवत्ता के दुधारू पशुओं से ही अधिक दुग्ध उत्पादन हासिल कर पाना सम्भव हो पाता है। इसलिए दुधारू पशु का चयन एवं खरीदारी करते समय अच्छी नस्ल, दोष रहित पूर्णतः स्वस्थ्य पशु, लंबे ब्यांत, हर साल बच्चा और अधिक दूध देने वाली गाय भैंस को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।

निम्नलिखित गुणों पर ध्यान दिया जाना चाहिये-

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शारीरिक संरचना– तिकोने आकार की गाय दुधारू होती है। ऐसी गाय की पहचान के लिए उसके सामने खड़े हो जाए। इससे गाय का अगला हिस्सा पतला और पिछला हिस्सा चोडा दिखाई देगा। शरीर की तुलना में गाय के पैर एवं मुंह – माथे के बाल छोटे होने चाहिए।

दुधारू पशु की चमड़ी चिकनी, पतली और बड़ा होना चाहिए। आंखे चमकीली स्पष्ट और दोष रहित होनी चाहिए। अयन पूर्ण विकसित और बड़ा होना चाहिए। गाय – भैंस के पेट पर पाई जाने वाली दुग्ध शिरांए जितनी स्पष्ट, मोटी और उभरी हुई होगी पशु उतना ही अधिक दूध देने वाली होगा। दूध दोहन के उपरांत थन को पूरी तरह से सिकुड़ जाना चाहिए। चारों थनों का आकार एवं आपसी दूरी समान होनी चाहिए।

स्वास्थ्य– पशु का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिये तथा स्वास्थ्य के बारे में अगल-बगल के पड़ोसी से जानकारी भी अवश्य लेनी चाहिये। टीकाकरण एवं अब तक हुई बीमारियों के बारे में सही-सही जानकारी होने से उसके उत्तम स्वास्थ्य पर भरोसा किया जा सकता है।

जनन क्षमता– आदर्श दुधारू गाय वही होती है जो प्रतिवर्ष एक बच्चा देती है। पशु क्रय करते समय उसका प्रजनन इतिहास अच्छी तरह जान लेना चाहिये। यदि उसमें किसी प्रकार की कमी हो तो उसे कदापि नहीं खरीदना चाहिये। क्योंकि ये कभी भविष्य में समय पर गर्भपात न होने, स्वास्थ्य, बच्चा नही होने, प्रसव में कठिनाई होने इत्यादि कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

दुधारू पशु को खरीदते समय हमेशा दूसरे अथवा तीसरे ब्यांत की गाय – भैंस को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। क्योंकि इस दौरान दुधारू पशु अपनी पूरी क्षमता के अनुरूप खुलकर दूध देने लगते है और यह क्रम लगभग सात ब्यांत तक चलता है।

दूसरे तीसरे ब्यांत के पशु को खरीदते समय प्रयास यह होना चाहिए कि गाय – भैंस उस दौरान एक माह ही ब्याही हुई हो और उसके नीचे मादा बच्चा हो। ऐसा करने से उक्त पशु के दूध देने की क्षमता का पूरा ज्ञान होने के साथ ही मादा पड़िया अथवा बछड़ी मिलने से भविष्य के लिए एक गाय – भैंस और प्राप्त हो जाती है, जोकि भविष्य की पूंजी है।

दुग्ध उम्पादन क्षमताः– दुधारू पशु को खरीदते समय लगातार तीन बार दोहन करके देख ले। क्योंकि व्यापारी चतुराई से काम लेते हैं और आपको पशु खरीदते समय मात्र एक बार सुबह अथवा शाम को ही दोहन करके दिखायगें। आप को आभास होगा की पशु अधिक दूध देने वाला है लेकिन सच्चाई यह नहीं होती है। व्यापारी एक समय का दोहन नहीं करता अथवा कम दुग्ध दोहन करता है।

जिससे दूध की मात्रा अयन में रह जाती है इस कारण लगता है कि गाय भैंस अधिक दूध देने वाली हैं इसलिए दुधारू पशु की खरीददारी करते समय तीन बार लगातार दुग्ध दोहन अपने सामने अवश्य करा लेना चाहिए। कई बार व्यापारी आक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाकर दूध दोहन कराते है। इससे बचने के लिए जब भी दुग्ध दोहन कराये तो अपने सामने कम से कम आधा घंटा व्यापारी से बात करने में गुजार दें फिर इसके बाद ही दोहन करायें।

वंशावली– यदि पशु की वंशावली उपलब्ध हो तो उनके बारे में सभी बातों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। लेकिन हमारे यहाँ वंशावली रिकॉर्ड रखने का प्रचलन नहीं है, जिसके कारण अनेक लक्षणों के आधार पर ही पशु का चुनाव करना पड़ता है। अच्छे डेरी फार्म से पशु खरीदने में यह सुविधा प्राप्त हो सकती है।

लेकिन ऐसा रिकार्डधारी दुधारू पशु यदि कहीं से प्राप्त होते है तो खरीद के समय पर उन्हें ही प्रथम वरीयता देनी चाहिए। यदि पशुपालक द्वारा बताई गई बातों को अमल लाकर खरीदते समय दुधारू पशुओं का चयन करेंगे तो अधिक लाभ कमाने के साथ ही धोखा खाने से बच सकते हैं।

आयु– सामान्यतः पशुओं की जनन क्षमता 10-12 वर्ष की आयु के बाद समाप्त हो जाती है। दुधारू पशु का चयन करते समय उसकी सही आयु का पता लगाना आवश्यक होता है जिससे कोई आपको पशु की आयु कम बता कर धोखा नहीं दे सके।

दुधारू पशु की आयु की जांच के लिए कई तरीके अमल में लाये जाते हैं। जिन्हे खरीदते समय मौके पर अपनाकर पशु की ठीक – ठीक आयु का पता लगाया जा सकता है।

दांतों को देखकर:

पशु की सही आयु का पता लगाने के लिए उसके दांतो को देखा जाता है। मुंह की निचली पंक्ति में स्थायी दांतो के चार जोड़े होते हैं। ये सभी जोड़े एक साथ नहीं निकलते हैं।

दांत का पहला जोड़ा पौने दो साल की उम्र में, चोथे साल के अन्त की उम्र में निकलता है। इस प्रकार से दांतो को देखकर नई और पुरानी गाय – भैंस की सटीक पहचान की जा सकती है। औसतन एक गाय – भैंस 15-20 वर्षो तक जीवित रहती है। गाय – भैंस की उत्पादकता उसकी उम्र के साथ – साथ घटती चली जाती है। दुधारू पशु अपने जीवन के यौवन और मध्यकाल में अच्छा दुग्ध उत्पादन करता है। इसलिए दुधारू पशु का चयन करते समय उसकी उम्र की सही जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।

सींग के छल्लों को देखकर-

गाय – भैंस के सींग के छल्ले भी आयु का अनुमान लगाने में सहायक होते हैं। प्रथम छल्ला सींग की जड़ पर प्रायः तीन वर्ष की आयु में बनता है। इसके बाद प्रतिवर्ष एक – एक छल्ला और आता रहता है। सींग पर छल्ला की संख्या में दो जोड़ कर गाय भैंस की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।

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परन्तु देखने में आया है कि कुछ लालची लोग अधिक रूपया कमाने के चक्कर में दुधारू पशु खरीदार को धोखा देने के लिए रेती से छल्लों को रगड़ देते है। इसलिए यह विधि विश्वनीय नहीं कही जा सकती है। दूध देने वाले दुधारू गाय – भैंस के दुग्ध उत्पादन की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है। भैस की मुर्रा नस्ल आज भी अपने मुड़े सींगों के कारण ही पहचानी जाती है।

दुधारू गाय – भैंस की खरीद करते समय अयन और थनों की बाराकी से जांच कर लेनी चाहिए जिससे थनैला बीमारी के बारे में भली प्रकार से पता चल सके।

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यदि थन में गांठ, सूजन आदि के लक्षण हैं तो थनैला हो सकता है। ऐसे पशु को भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए। कई बार व्यापारी कमजोर पशु में तथा उसके अयन में हवा भरवा देते है, जिससे यह हष्टपुष्ट, गर्भवती अथवा अधिक दूध देने वाली प्रतीत हो सके। ऐसे पशु के पेट, अयन फूल रहे अंगें पर दबाब देकर देख लेना चाहिए।

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