Angoor ki Kheti (Grapes Farming) अंगूर की खेती करेगी आपको मालामाल जाने इसके बारे मे
Angoor ki Kheti (Grapes Farming) :- अंगूर की खेती करेगी आपको मालामाल जाने इसके बारे मे अंगूर की खेती (Grapes Cultivation) बागवानी फसलों में से एक है। जो भारत के कई राज्यों में की जा रही है। परन्तु महाराष्ट्र अंगूर की खेती के लिए भारत में ही नहीं विदेशों में प्रसिद्ध है।ऐसा माना जाता है कि महाराष्ट्र का नासिक जिला देश का लगभग 70 अंगूर का उत्पादन करता है।नासिक की जलवायु मिट्टी अंगूर की खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।अगर आप अंगूर की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते है तो आपको अंगूर की खेती की खेती से सम्बंधित सभी जानकारी पता होती चाहिए तभी आप अंगूर की उन्नत खेती पाएंगे। अंगूर की उन्नत खेती करने की इच्छा रखते है।
Angoor ki Kheti (Grapes Farming) अंगूर की खेती करेगी आपको मालामाल जाने इसके बारे मे
Benefits of Grapes
अंगूर एक स्वादिष्ट फल है। भारत में अंगूर अधिकतर ताजा ही खाया जाता है वैसे अंगूर के कई उपयोग हैं। फल के तौर पर खाने के अलावा इनसे किशमिश, मुनक्का, जूस, जैम और जैली भी बनाए जाते हैं। इसके अलावा इसका उपयोग मदिरा बनाने में भी किया जाता है। अंगूर में कई पोषक, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। इसमें मौजूद पॉली-फेनोलिक फाइटोकैमिकल कंपाउंड हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के कारण अंगूर का सेवन काफी लाभकारी माना गया है।
Angoor ki Kheti (Grapes Farming) अंगूर की खेती करेगी आपको मालामाल जाने इसके बारे मे
अंगूर की खेती के लिए खेत कैसे तैयारी करें
अंगूर की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि उसमें मौजूद पुरानी अवशेषों, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाये। इसके बाद 50 x 50 x 50 सेंटीमीटर के खेत में गड्ढे खोदे. खोदे गए गड्ढों के लिए खाद कैसे तैयार करें- सड़ी गोबर की खाद (15 किलोग्राम), 250 ग्राम नीम की खली, 50 ग्राम फॉलीडाल कीटनाशक चूर्ण, 200 ग्राम सुपर फॉस्फेट व 100 ग्राम पोटेशियम सल्फेट का मिश्रण बनाकर प्रति गड्ढे में डालें. अंगूर के पौधे लगाने से 15-20 दिन पहले गड्ढों में पानी भरें।
Angoor ki Kheti (Grapes Farming) अंगूर की खेती करेगी आपको मालामाल जाने इसके बारे मे
अंगूर की खेती में खाद एवं उर्वरक
पंडाल पद्धति से साधी गई एवं 3 x 3 मी. की दूरी पर लगाई गई अंगूर की 5 वर्ष की बेल में लगभग 500 ग्राम नाइट्रोजन, 700 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, 700 ग्राम पोटेशियम सल्फेट एवं 50 – 60 कि.ग्रा. गोबर की खाद की आवश्यकता होती है। छंटाई के तुंरत बाद जनवरी के अंतिम सप्ताह में नाइट्रोजन एवं पोटाश की आधी मात्र एवं फास्फोरस की सारी मात्र दाल देनी चाहिए। शेष मात्र फल लगने के बाद दें। खाद एवं उर्वरकों को अच्छी तरह मिट्टी में मिलाने के बाद तुंरत सिंचाई करें। खाद को मुख्य तने से दूर 15-20 सेमी गहराई पर डालें।
अंगूर की फसल की कटाई
अंगूर की कटाई आमतौर पर उत्तरी क्षेत्र में अगस्त और अक्टूबर और दक्षिणी क्षेत्र में फरवरी और अप्रैल के बीच की जाती है।
अंगूर की फसल से उत्पादन
अंगूर की फसल का उत्पादन उसकी वैरायटी, मिट्टी, जलवायु और पर्यावरण आदि पर निर्भर करता है लेकिन सामान्यतः अंगूर की फसल से औसतन पैदावार रोपाई के दूसरे या तीसरे वर्ष में करीब 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर हो जाती है। एक अंगूर के पौधे का जीवन 15 वर्ष होता है।
यह भी जाने :-
Farming Of Watermelon टमाटर की खेती को पिछे छोड़ने आई तरबूज की जबरदस्त खेती से मालामाल होंगे किसान
Angoor ki Kheti (Grapes Farming) अंगूर की खेती करेगी आपको मालामाल जाने इसके बारे मे