इन दिनों खेती पर यह गाना बहुत ही चर्चा में है- “मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती”। दिनों दिन खेती अब उद्योग में बदलती जा रही है। किसी समय पर खेती सिर्फ पेट भरने के लिए की जाती थी और आज का समय है कि लोग खेती करके कमाई कर रहे हैं।
ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जो यह साबित करते हैं कि भारत के किसानों ने ही नहीं बल्कि विदेशों में जमे कारोबारी या फिर मल्टीनेशनल कंपनियों ने भी लाखों रुपए महीने के पैकेट वाली नौकरी और तिलांजलि देकर नौजवान खेती में कामयाबी हासिल कर रहे हैं।
मेरठ के रहने वाले अजय त्यागी जो कि प्रगतिशील किसान हैं। यह अजय त्यागी उन नौजवानों में से एक माने जाते हैं जो न केवल कामयाब तरीके से खेती करके शानदार मुनाफा कर रहे हैं। बल्कि साथ ही साथ और किसानों को भी खेती के नए नए मंत्र सिखा रहे हैं।
अजय त्यागी ने 12 एकड़ जमीन से अपनी खेती शुरू की थी और आज वह 35 एकड़ में अपने जैविक तरीके से अनाज, दाल, मसाले और साथ ही साथ फल सब्जियां के साथ साथ साथ से ज्यादा उत्पादन कर रहे हैं।
अजय त्यागी ने खेती को शुरू करने से पहले वह गुरुग्राम में स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी आईबीएम में करीब 16 वर्षों से अपना योगदान दे रहे थे। अजय त्यागी जब आईबीएम में नौकरी कर रहे थे तो उन्होंने अपनी मेहनत के चलते खूब मुकाम हासिल किया है। अजय अपनी कामयाबी से खूब खुश नजर आ रहे थे।
अजय अपने जीवन के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने एमसीए किया हुआ है। और साथ ही साथ उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक अच्छी कंपनी से की थी। वह अपनी मेहनत के बल पर खूब आगे बढ़ते जा रहे थे। लेकिन कहीं ना कहीं कुछ ऐसा था जो उन्हें पीछे की ओर खींच रहा था। जिसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर फिर से गांव लौट ना चाहा और वह लौट भी गए। जिसके बाद उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया।
अजय की परवरिश मेरठ शहर से हुई है। साथ ही साथ अजय ने बताया कि उनके गांव में जो भी खेती-बाड़ी थी वह उनका परिवार संभालता था। उन्होंने जब नौकरी छोड़कर खेती करनी चाहिए और परिवार को यह बताया तो उनके परिवार वाले काफी उनसे नाराज हो गए थे।
अजय त्यागी जी ने यह भी बताया कि जब वह नौकरी कर रहे थे तो उस समय वह प्रगतिशील किसानों के बारे में और सरकार की खेती को प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं के बारे में भी पढ़ा करते थे। जिसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ कर खेती में कुछ नया आजमाने का फैसला कर लिया। जब अजय खेती में उतर रहे थे उससे पहले ही उन्होंने खेती के बारे में पूरा अध्ययन कर लिया था। वह कृषि वैज्ञानिकों से भी मिले थे।
इसी के साथ-साथ उन्होंने प्रगतिशील किसानों के साथ कई बैठकें भी की थी। इसके पश्चात उन्होंने गाजियाबाद में स्थित राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र से खेती के बारे में कई सारी जानकारियां हासिल की। वहां पर रहे और उन्होंने कई कार्यशाला में भी काम किया।
जब अजय राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र में गए तो उन्होंने वहां से खेती के तरीके और जैविक उत्पादन का प्रमाणीकरण साथ ही साथ बाजार तक के बारे में पूरी ट्रेनिंग हासिल कर ली। लेकिन अजय ने इस केंद्र में एक बात बहुत अच्छे से सीख ली कि अगर खेती को किसी की तरीके से लेकर बल्कि उसे कारोबार की तरह से देखा जाए तो निश्चित रूप से किसानों को मुनाफा होगा।
अजय त्यागी जी ने बताया कि जब उन्होंने अब पूरी किसी की ट्रेनिंग देनी थी उसके बाद उनकी मुलाकात पदम श्री सम्मानित किसान भारत भूषण त्यागी जी से हुई थी। एक मुलाकात के बाद भारत भूषण त्यागी जी, अजय त्यागी जी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गए थे।
कंपनी बनाकर खेती की शुरू
अजय बताते हैं कि उन्हें खेती ना करके खेती का कारोबार करना था। जिस कारण से उन्होंने सबसे पहले एक कंपनी खोली जिसका नाम था “कार्बनिक मिडोज प्राइवेट लिमिटेड” (Karbanic Meadows India Pvt Ltd)।जिसके बाद अजय जी ने एक बात और कहीं के किसान दिन-रात खून पसीना बहाकर खेती तो करता है लेकिन अपनी मेहनत और पसीने की कमाई का मूल्यांकन नहीं करता है। जिस कारण से खेती में होने वाले नुकसान का कोई भी मूल्यांकन हो ही नहीं पाता है।
अजय खेती को कारोबार बनाना चाहते थे, इसी कारण से उन्होंने सबसे पहले अपनी कंपनी के माध्यम से खुद की खेती को ही जमीन को पट्टे पर रख दिया।
अजय जी ने की ग्राउंड जीरो से शुरुआत
अजय त्यागी जी ने खेतों के कारोबार को बहुत ही ग्राउंड जीरो के स्तर से शुरुआत की। उन्होंने इस नई शुरुआत करने के लिए पहले जमीन को तैयार किया। उन्होंने पहले के छह महीनों में सिर्फ जैविक खाद को बढ़ावा दिया, साथी साथ कोई भी उन्होंने खेतों में से उत्पादन नहीं किया। भैंस समय-समय पर वैज्ञानिकों से अपनी मिट्टी की जांच भी करवाते थे। साथ ही साथ जब खेत की मिट्टी नए सिरे से तैयार हो चुकी थी उसके बाद ही उन्होंने खेती करना शुरू किया था।
अजय ने किया बाजार पर फोकस
अजय त्यागी जी ने यह भी बताया कि वह जिस समय फसल को तैयार कर रहे थे उसी समय उन्होंने बाजारो में भी प्लान बनाना शुरू कर दिया था। यहां तक कि फसल के जैविक प्रमाणीकरण का लाइसेंस कैसे लिया जाए साथ ही साथ उत्पाद की पैकिंग और उनकी बिक्री की पूरी तैयारी उन्होंने पहले ही कर ली थी।
क्या खेत प्रोसेसिंग और पैकिंग यूनिट
अजय ने खेत में फसल उगाने के बाद उसे काट कर सीधे बाजारों में नहीं बेचा बल्कि उसकी प्रोसेसिंग करवाई। इसके लिए उन्होंने मेरठ में एक प्रोसेसिंग और पैकिंग की यूनिट लगवा दी साथ ही साथ खेत से तैयार होने वाले जैविक उत्पादों की भी प्रोसेसिंग करके उनकी पैकिंग करने लगे। उन्होंने कार्बनिक ब्रांड से ही अपने जैविक उत्पादों को बाजार ओ में ही पेश कर दिया था।
अजय ने लिया सोशल मीडिया का सहारा
जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का भी सहारा लिया था। जिसके बाद उन्होंने अपनी एक वेबसाइट भी बनाई और उनके उत्पादों को ऑनलाइन बेचने का इंतजाम कर लिया।अजय ने यह भी बताया कि ऑनलाइन मार्केटिंग के चलते आज उनके प्रोडक्ट गुरुग्राम, बेंगलुरु, दिल्ली, मेरठ जैसे कई बड़े शहरों में बिक रहे हैं।
फसल की कीमत
अजय ने बताया कि जिन खेतों से परिवार को कोई मुनाफा नहीं होता था सिर्फ परिवार का पेट ही भर पाता था। लेकिन आज उन्हीं खेतों से किसान को पहली कमाई हो पाई है। एक वह वक्त था जब किसानों को एमएसपी के चलते उनकी मेहनत का फल नहीं मिल पाता था लेकिन आज उन्हें एमएसपी से कहीं ज्यादा कीमत उनकी फसल के लिए मिल रही है।
अब तो अजय त्यागी जी ने अपने फार्म हाउस में गाय भी पाल ली है। जिसके बाद उन्होंने दूध का काम भी शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ होने गोबर की खाद भी प्राप्त हो रही है। साथ ही साथ इस खेती से वह केंचुआ खाद भी तैयार कर लेते हैं जिसके बाद उसे बाजार में भी बेच देते हैं।
अजय त्यागी जी अब अन्य किसानों को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं। जिसके लिए वह पूरे देश भर में घूमते हैं और सभी किसानों को आधुनिक खेती के बारे में बताते रहते हैं। अजय अपने यहां भी किसान वर्कशॉप को चलाते हैं और उनसे बकायदा फीस भी प्राप्त करते हैं। वहीं दूसरी तरफ एक सलाहकार के रूप में भी वह लोगों की मदद करते हैं। अगर किसान उनकी वर्कशॉप लेना चाहते हैं तो उनको ऑनलाइन बुकिंग करवानी होगी जिसके बाद उन्हें फीस भी देनी होगी।
कारोबारी बन गए हैं किसान
अजय त्यागी जी ने बताया कि सरकार का सारा ध्यान किसानों की तरक्की और खेती पर रहा है। जब सरकार कोई भी योजना शुरु करती है तो उसमें खेती से जुड़े उत्पाद जरूर होते हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार कोई भी योजना चलाती है तो उसका फायदा किसानों को जरूर उठाना चाहिए। वक्त पत्नी को और तरीकों को बदल देता है। इसलिए हमें भी बदलना चाहिए। वही बताते हैं कि आज के समय में एक ऐसा बड़ा वर्ग भी है जो शुद्ध चीजों के लिए कोई भी कीमत दे देता है।
अजय ने यह भी कहा कि जब कोई मॉल में 100 ग्राम पॉपकॉर्न डेढ़ ₹150 में बेच सकते हैं तो किसानों को भी ऐसे उत्पाद तैयार करने चाहिए जो वह अच्छी कीमत पर खुशी-खुशी बेच दे। किसान को कभी भी एमएससी के भरोसे नहीं बैठना चाहिए बल्कि बाजार की मांग पर फोकस करके खेती करते रहना चाहिए।
अगर आप भी अजय त्यागी के नक्शे कदम पर चलना चाहते हैं और उनकी आगे की कामयाबी की कहानी सुनना चाहते हैं तो आप उनसे इस फोन नंबर पर 98102-57741 संपर्क जरूर करें।