Agriculture News:आलू की फसल (चार महीने वाली) पककर तैयार है। कई क्षेत्रों में इसकी भी पटाई शुरू हो गई है। किसानों के लिए चिंता की बात यह है कि इस बार भी आलू के उत्पादन में गिरावट देखने को मिल रही है। एक कनाल में 10 से 12 क्विंटल आलू की पैदावार हो रही है। जबकि यह पैदावार 15 क्विंटल तक जाती है।
हर जगह से आलू उपलब्ध होने के कारण इस फसल के मंडी में अच्छे दाम नहीं मिल पाते। ऐसे में केवल अच्छा उत्पादन होने पर ही किसानों को लाभ होता है, लेकिन इस बार उत्पादन 20 से 25 प्रतिशत तक गिरने से किसान चिंतित हैं।
बताया जा रहा है कि आलू की फसल में आई गिरावट का मुख्य कारण मौसम की मार है। जिले में करीब क्षेत्र में 500 से 600 हेक्टेयर जमीन पर आलू की चार महीने वाली फसल लगाई जाती है। इस फसल के लिए किसानों को बीज भी 1600 रुपये से लेकर तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल तक खरीदना पड़ा। अब फसल की पटाई का काम शुरू हुआ तो शुरूआती नतीजे उम्मीद मुताबिक नहीं हैं। मंडी में इस फसल के दाम 750 से 850 रुपये प्रति क्विंटल तक रहते हैं।
इस फसल पर बीज, कीटनाशकों, खाद और अन्य रखरखावों में खर्च भी अच्छा-खासा होता है। ऐसे में किसानों को लाभ की एकमात्र उम्मीद अच्छे उत्पादन से ही होती है, लेकिन अभी तक सामने आए उत्पादन किसानों के लिए घाटे का सौदा माना जा रहा है। फरवरी माह में हुई लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी जमा हो गया था। इस दौरान फसल को काफी नुकसान हुआ। इसके बाद मार्च माह से लगातार पड़ रही तेज धूप ने भी फसल पर असर डाला।
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि इस बार मौसम फसलों के मुताबिक नहीं रहा। अभी आलू की पटाई शुरू हुई है। आने वाले दिनों में साफ होगा कि उत्पादन क्या रहता है। उन्होंने कहा कि किसान फसल से जुड़ी किसी प्रकार की दुविधा के समाधान