सोया तेल में तेज़ी , गेहूं मंदा रहने के आसार नहीं
7 दिसंबर 2021 कमोडिटी न्यूज़ : विदेशी बाजारों की हलचल को देखते हुए सोया तेल की कीमत में सुधार (soya oil price) देखने को मिला है और गेहूं भी मंदा ना रहने के आसार जताए जा रहे हैं।
क्या सोया तेल में तेजी के कारण विदेशी बाजारों (international markets) की तेजी है ? और गेहूं मंदा ने रहने के आसार क्यों जताए जा रहे हैं? इस तरह के सभी प्रश्नों के उत्तर हम आपको नीचे देने वाले हैं।
2022 में गेहूं मंदा रहने के आसार ना बराबर है
गेहूं बाजार में एक और तो गेहूं की लाइट रहने की उम्मीद है वहीं इंपोर्टर देश अब इंपोर्ट बढ़ा रहे हैं ताकि कोरोनावायरस का कोई नया विकराल रूप आने से पहले अनाज की स्टॉकिंग की जा सके ऐसे हालातों में गेहूं को मंदा मानना गलत है।
केएलसी पाम वायदा तो आज 100 रिंगिट (1.80 रुपए किलो) की तेजी के साथ बंद हुआ मगर लोकल वायदे अपनी बढ़त खो बैठे।
साउथ मलेशिया ने 1 दिसंबर 2021 से 5 दिसंबर 2021 के मध्य पाम तेल उत्पादन कम (reduction in pam oil production) का है और इससे पहले एमपीओए ने नवंबर उत्पादन कम रहने की रिपोर्ट जारी की थी।
सर्वे एजेंसीज में पाम स्टॉक कम रहने की धारणा दी गई है और इन सब कारणों से आज केएलसी में तेजी बनी है हालांकि दिन में 180 रिंगिट की तेजी बनी थी जो बाद में 100 रिंगिट तक सिमट कर रह गई।
अप्रैल से सितंबर के मध्य में भारत में ऑयल केक ऑयल मिल का इंपोर्ट पिछले साल के 400000 टन से 70% ज्यादा रहा।
पिछले साल सिर्फ 21370 टन सोयाबीन सितंबर तक आई थी जो अब की बार 200000 टन आ गई है।
थाईलैंड से भारत को अक्टूबर में सीपीओ का एक्सपोर्ट उम्मीद से काफी ज्यादा होने से वहां पाम की सप्लाई टाइट हो गई है।
सोयाबीन तेल की कीमतों में सुधार का मुख्य कारण
दिल्ली बाजार शिकागो एक्सचेंज की मजबूती से सोयाबीन तेल की कीमत में सुधार आने की मुख्य वजह विदेशी बाजारों में तेजी के रुख को माना जा रहा है।
जिसके चलते देश भर के तेल तिलहन बाजारों में सोमवार को सोयाबीन तेल, सीपीओ, पामोलिन, बिनौला तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ जबकि सोयाबीन के तेल रहित खल (डी ओ सी) का भाव उंचा होने के संदर्भ में पोल्ट्री उद्योग की बैठक होने के बीच सोयाबीन दाना और लूज की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।
बाजार सूत्रों के कहे अनुसार मलेशिया एक्सचेंज में 2.15% की तेजी रही जब किसी का को एक्सचेंज फिलहाल 0.2% मजबूत रहा।
शिकागो एक्सचेंज की मजबूती को देखते हुए सोयाबीन तेल की कीमतों में सुधार आया है।
किसानों के सत्य मैंने बेचने के कारण मिल वालों को बिनौला के दाने महंगे मिल रहे हैं और बिनोला की पेराई में उन्हें फायदा नजर नहीं आ रहा है।
बेपड़ता कारोबार के कारण बिनौला तेल की कीमत में सुधार देखने को मिला है।
सूत्रों के अनुसार सरकार को खाद्य तेलों की कीमतों पर कमी या बढ़ोतरी के लिए आयात शुल्क कम ज्यादा करने के बजाए विशेषकर कमजोर आय वर्ग के लोगों को ऐसी किसी कटौती का लाभ सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्य तेलों की आपूर्ति के बारे में विचार करना चाहिए।
इससे सरकार के किसी शुल्क कटौती का लाभ कमजोर तबके को आसानी से मिल पाएगा क्योंकि बड़े कारोबारी ऐसी किसी कटौती का पूरा का पूरा लाभ उन्हें नहीं देते हैं इसके अलावा तेल कीमतों की निगरानी के लिए भी सरकार को एक समिति बनानी चाहिए।