Homeब्रेकिंग न्यूज़घर नहीं लेकर आते मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद, जानिए क्या है इसके...

घर नहीं लेकर आते मेहंदीपुर बालाजी का प्रसाद, जानिए क्या है इसके पीछे की मान्यता

आपको बता दें, मंदिर हिन्दू देवता हनुमान के भक्तों के बीच पूजनीय है और इस मंदिर में उनके बचपन के रूप में मनाया और प्रार्थना की जाती है। इस वजह से भी मंदिर को बालाजी यानी बच्चा भी कहते हैं। चलिए आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।

राजस्थान के करौली जिले में मेहंदीपुर बालाजी भारत की उन जगहों में से एक है, जो अनसुने रहस्यों से घिरी हुई है। आपको बता दें, मंदिर हिन्दू देवता हनुमान के भक्तों के बीच पूजनीय है और इस मंदिर में उनके बचपन के रूप में मनाया और प्रार्थना की जाती है। इस वजह से भी मंदिर को बालाजी यानी बच्चा भी कहते हैं। चलिए आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।
मंदिर के बारे में –

आपको एक बार मेहंदीपुर बालाजी जरूर जाना चाहिए। जिस वक्त आप मंदिर के अंदर जाएंगे, आपको एक अलग ही दुनिया दिखाई देगी। एक अजीब तरह की ऊर्जा आपको प्रभावित करेगी, जिसे बयान कर पाना थोड़ा मुश्किल है। यहां भक्त जय बाला के मंत्रोच्चार के साथ हनुमान की पूजा कर रहे होंगे, भीड़ को देखकर आप थोड़ा पीछे हटेंगे, लेकिन उनमें दिखता जोश आपको भक्ति करने के लिए आकर्षित करेगा। उसी भीड़ में कई लोग ऐसे भी होंगे, जो बुरी आत्मा से पीड़ित होंगे। आपको बता दें, हनुमान जी की भूत- पिशाच को भगाने के लिए भी की जाती है।

धार्मिक स्थल को भूत भगाने और हर इच्छा को पूरा करने के लिए भी जाना जाता है। यहां आपको सैकड़ों भक्तों में कुछ महिलाएं और पुरुष दिखेंगे, जो अलग-अलग भाषाओँ और आवाजों में चीख-चिल्ला रहे होंगे या बोल रहे होंगे। शरीर से बुरी आत्मा को निकालने के लिए लोग मंदिर के बाहर रेलिंग पर खुद को बांध लेते हैं। कई पंडितों को बालाजी की मूर्ति से निकलने वाले पवित्र जल का उपयोग करते हुए भूत भगाने और मंत्रों का जाप करते हुए देखा जा सकता है। वहां का पूरा माहौल आपको थोड़ा डरा सकता है, लेकिन आस्था और विश्वास के कारण देश भर से तीर्थयात्री यहां दर्शन करने के लिए आते हैं।

मिलने वाले प्रसाद को वहीं फेंकना पड़ता है –

ऐसा कहा जाता है कि अगर आप मंदिर जा रहे हैं, तो आपको कुछ सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। यात्रा की योजना बनाने से एक हफ्ते पहले आपको वेजिटेरियन भोजन खाना चाहिए। इसके अलावा, आपको मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को खाना, वापस लाना या उसे नहीं बांटना नहीं चाहिए। दरअसल, मिलने वाले प्रसाद को वहीं फेंकना पड़ता है और बिना पीछे देखे, उससे दूर जाना पड़ता है। इस प्रक्रिया के लिए यहां एक खास जगह बनाई हुई है।

मंदिर में इन चीजों को करना है मना –

ऐसा माना जाता है कि मंदिर में अरजी, सवामणि और डार्कहस्त जैसे तरीकों से बुरी आत्माओं से पीड़ित लोगों को जल्द राहत मिल सकती है। इसके बाद लोग भैरव बाबा की मूर्ति पर दर्शन करने के लिए जाते हैं, जिन्हें कोतवाल कप्तान (सेना प्रमुख) या श्री प्रेतराज सरकार (बुरी आत्माओं का राजा) के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही, आपको पुजारी या मंदिर में किसी को भी किसी भी रूप में पैसा नहीं देना चाहिए। अगर आप पैसे देते भी हैं, तब भी कोई पुजारी आपसे पैसे नहीं लगेगा। साथ ही यहां फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करना बैन है। अगर आप मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं, तो शनिवार और मंगलवार के दिन जाने से बचें क्योंकि यहां सबसे ज्यादा भीड़ रहती है।

मंदिर कहां स्थित है –

गांव का मंदिर राजस्थान में दो जिलों – करौली और दौसा की सीमा पर स्थित है। जयपुर से, यह केवल 109 किमी और दिल्ली से लगभग 300 किमी दूर है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular