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केसर की खेती की शुरुआत कैसे करे, जाने पूरी जानकारी।

केसर की खेती की शुरुआत कैसे करे, जाने पूरी जानकारी।

केसर की खेती की शुरुआत कैसे करे, जाने पूरी जानकारी।
केसर की खेती image source- canva.com

भारतीय संस्कृति में केसर को बहुत ही अहम माना गया है। छोटे बच्चों को भारत में केसर का दूध पिलाया जाता है जो कि बेहद स्वादिष्ट होता है। यह सभी को पसंद आता है और सेहत के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। लेकिन केसर बाकी फसलों में से बहुत ही मूल्यवान मानी जाती है। जो भी kesar की खेती करता है उसे आर्थिक रूप से बहुत ही मजबूत होना चाहिए। हमारे भारत में ऐसे कुछ ही स्थान है जहां पर केसर की खेती होती है। तो चलिए आज हम बात करते हैं कि केसर की खेती कैसे की जाती है।

आखिर कैसे होती है केसर की खेती

केसर की खेती अधिकतर यूरोप और एशियाई भागों में की जाती है। साथ ही साथ ईरान और स्पेन जैसे देश पूरी दुनिया का 80 प्रतिशत केसर उगाते हैं। बता दें कि यह केसर समुद्र तल से 1000 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर लगाई जाती है। साथ ही साथ बता दें कि केसर को उगाने के लिए बर्फीले प्रदेशों को बहुत अच्छा माना जाता है।अगर कोई किसान केसर की खेती करता है तो वह बहुत अच्छी कमाई कर सकता है।

केसर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी कौन सी है?
kesar को जब भी हम उप जाते हैं तब हमें यह बेहद ख्याल रखना चाहिए कि जहां भी आप केसर की खेती करने जा रहे हैं वहां पर मिट्टी हमेशा रेतीली, चिकनी, बलुई मिट्टी और दोमट मिट्टी होनी ही चाहिए। लेकिन जब भी आप मिट्टी का चयन करें तो मिट्टी में पानी का जवाब नहीं होना चाहिए। अगर जहां पर भी आपने केसर की खेती की है वहां पर पानी का जमाव हो गया तो केसर के corms सड़ सकते हैं। जिसके बाद फसल बर्बाद हो जाती है।

कब की जाती है केसर की खेती

केसर की खेती अगस्त के महीने में और फुलाने की प्रक्रिया अक्टूबर और नवंबर में हो जाती है। इस पर फूल आने की प्रक्रिया एक महीने की ही मानी जाती है। माना तो यह भी जाता है कि यह 15 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर के बीच ही उगती है। साथ ही साथ इस की सिंचाई भी बहुत नेचुरल तरीके से की जाती है। अगर इसकी फूल निकाले जाए तो उनमें काफी मेहनत लगती है और लेबर का खर्चा भी बहुत ज्यादा आ जाता है। कश्मीर के एक हिस्से में इसकी खेती बहुत ज्यादा मानी जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यहां लाल रंग की खास मिट्टी होती है जिसमें केसर की खेती बहुत अच्छे से हो जाती है।

क्या मध्यप्रदेश में हो सकती है केसर की खेती

मध्यप्रदेश में भी केसर की खेती की जा सकती है। आपको बता देंगे साल 2019 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से 25 किलोमीटर दूर खेड़ा गांव में रहने वाले दिलीप और बृजेश कुशवाह ने अपने खेत में अमेरिकन केसर की फसल बोई थी, और उसे सफलतापूर्वक उपजाया भी था। इन लोगों को आधा बीघा खेत में करीब 10 किलो केसर मिली थी।

क्या है केसर के बीज का भाव

जैसा कि हमने पहले भी आपको बताया कि केसर की खेती बहुत ही मूल्यवान खेती में से मानी जाती है। साथ ही साथ यह बाजार में भी बहुत महंगी मिलती है। इसके बीच का दाम करीब ₹40000 किलो के हिसाब से मिलता है।

1 एकड़ में कितनी केसर उपज सकती है

केसर एक मूल्यवान और बेहद ही स्वादिष्ट मानी जाती है। अगर हम केसर को 1 एकड़ जमीन में उपजाते हैं तो करीबन 40 किलोग्राम केसर उपज सकती है। साथ ही साथ अगर केसर के रेट की भी बात करें तो करीबन 2.5 लाख रुपए प्रति किलो केसर के दाम चल रहे हैं।

केसर कितने प्रकार की होती हैं

फिलहाल केसर दो प्रकार की मानी जाती है जो कि हैं कश्मीरी केसर और अमेरिकन केसर। बता दें कि भारत में अमेरिकन केसर की अधिक मात्रा में खेती की जाती है।

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जाने केसर का बीज लगाने का सही तरीका
Kesar की खेती करने के बाद लगभग 6 महीने में उसकी फसल तैयार हो जाती है। अगर आप चाहते हैं कि कैसा के गुणवत्ता बनी रहे तो केसर के बीजों को सही समय पर लगाना बहुत ही आवश्यक है। यह इसीलिए क्योंकि जब केसर की बिक्री की जाती है तो उसकी गुणवत्ता के हिसाब से ही उसके दाम भी लगाए जाते हैं।

अगर आप भी केसर की खेती कर रहे हैं तो केसर के बीजों को बारिश के मौसम खत्म होने के बाद जुलाई से लेकर सितंबर महीने तक कभी भी लगा दें। अगर हम अगस्त के मौसम में बीजों को लगा देते हैं तो सर्दियों की शुरुआत में ही इसके पौधे केसर उगाने के लिए तैयार हो जाते हैं और इससे केसर कार सर्दियों में खराब होने का खतरा कम हो जाता है।

केसर के पौधों की सिंचाई कैसे करें

जब हम Keasr के बीजों को खेत में लगा देते हैं तो उसके बाद ही सिंचाई करना शुरू कर देना चाहिए। अगर केसर को शुष्क प्रदेशों में उगाया जा रहा है तो सर्दियों के मौसम में 15 दिन में सिंचाई कर देनी चाहिए। अगर आप गर्मियों के मौसम में केसर उगा रहे हैं तो पूरे सप्ताह में आपको कम से कम 2 बार सिंचाई जरूर करनी चाहिए। अगर आप बारिश के मौसम में लगा रहे हैं तो जब भी जरूरत पड़े खेत की सिंचाई कर दें।

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