खेती : फूलों का राजा भले ही गुलाब हो, लेकिन गेंदा यानि हजारे के फूलों की भी कम अहमियत नहीं है. धार्मिक कार्यक्रमों से लेकर शादी एवं अन्य समारोह में भी हजारे के फूल बड़ी जरूरत बन गए हैं. इसकी खेती किसानों को कम लागत और मेहनत में अच्छी कमाई दे रही है. यही कारण है कि अब यहां के किसानों को भी फूलों की खेती रास आने लगी है. खासकर गेंदे के फूलों की खेती करके कई किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
दिनों दिन बढ़ती फूलों की जरूरत के चलते यहां फूलों की खेती करने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ रही है. इसी का परिणाम है कि फूल व्यवसाय में कभी कोटा के भरोसे रहने वाले यहां के फूल विक्रेता अब स्वयं आत्मनिर्भर होने लगे हैं. हालांकि कोटा या अन्य जगहों से फूल अब भी यहां आते हैं, लेकिन उनमें गुलाब और अन्य फूलों की किस्म ज्यादा होती है. क्षेत्र में बिक रहे गेंदे के ज्यादातर फूल कस्बे में ही खेतों में पैदा हो रहे हैं. यहां गौरवपथ, बैस्यार रोड समेत कई क्षेत्रों में खेतों में महकते फूल राह चलते लोगों का बरबस ध्यान खींच लेते हैं.
दिनों दिन बढ़ रही मांग
किसानों ने बताया कि फूलों की मांग बढ़ती जा रही है. शादी समारोह में स्टेज और आयोजन स्थलों को सजाना हो या फिर अन्य समारोह, सब बिना मालाओं के फीके से लगते हैं. मंदिरों में पूजन के लिए भी रोजाना फूलों से बनी माला बड़ी मात्रा में बिकती है. बाजार में वर्षभर हजारे के फूलों की बढ़िया बिक्री होती है. राजनीतिक कार्यक्रमों में स्वागत भी इनके बिना अधूरा है. चुनावी सीजन में फूलों की अच्छी कीमत मिल जाती है.
कम मेहनत, अच्छी आमदनी
कम मेहनत और अच्छी आमदनी के चलते यहां कई किसान अब सालभर गेंदे के फूलों की खेती करने लगे हैं. यहां आधा दर्जन से अधिक किसान अपने खेतों में फसलों के साथ फूलों की भी खेती कर रहे हैं और उन्हें बेचकर आजिविका चला रहे हैं. रोजाना कई क्विंटल फूल इन दुकानों पर बिक जाते हैं. किसानों ने बताया कि सावों के दौरान तो फूल विक्रेताओं को मांग अधिक होने पर कोटा से अतिरिक्त फूल मंगवाने पड़ते हैं.